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अनंत ऊर्जा : दिवाली पर मन की सफाई से नवीनता

लक्ष्मी मतलब मन का लक्ष्य, हमारे जीवन का उद्देश्य। हम जो भी कर्म करें, उसमे जीवन का उद्देश्य हो। मतलब हर कर्म करते हुए हम सब को कुछ देते रहें। इससे आत्मा भरपूर रहेगी ।

 दिवाली पर मन की सफाई से नवीनता
दिवाली पर मन की सफाई से नवीनता

दिवाली अर्थात आत्मा की ज्योत जगाना। साल का वही समय फिर आगया है जहाँ सिर्फ घर- घर नहीं, बल्कि पूरी सृष्टि में दिवाली होती है। दिवाली नवीनता का समय है और नए युग की शुरुआत का भी समय है। दिवाली पर हमें घर की सफाई के साथ मन की सफाई पर भी ध्यान देना चाहिए। जब तक मन की सफाई नहीं होगी, हम श्री लक्ष्मी का आह्वान नहीं कर पाएंगे। श्रीलक्ष्मी का आह्वान यानी की पवित्रता, दिव्यता का आह्वान करना। जहाँ मन में अपवित्रता होगी वहां दिव्यता कैसे आएगी। जहाँ पुरानी बातें जमा होंगी, वहां पवित्रता कैसे आएगी। जहाँ किसी के बारे में कुछ बैर होगा वहां सफाई कैसे होगी। इसलिए मन के कोने -कोने की सफाई करें। हम जैसे- जैसे सफाई करेंगे, आत्मा के पुराने संस्कार ख़त्म होते जायेंगे नए संस्कार उभरेंगे। सोचने का पुराना तरीका छोड़ते जायेंगे ,और नया तरीका आता जायेगा।
इसलिए दिवाली में सफाई के साथ नवीनता का महत्व है। हर नयी चीज़ हम दिवाली के समय खरीदते हैं। दिवाली में ऐसा क्या है? क्योंकि जब सफाई होगी तो नवीनता आनी ही आनी है। हम घर की पेंटिंग भी दिवाली पे ही करते हैं। पुराण रंग मिट गया, आत्मा के ऊपर नया रंग आगया। हर एक को समझना, उसके संस्कार समझना और समझकर उसके प्रति सहानुभूति रखना, ये हमारे जीवन का तरीका बन जाता है, यानी हमारे जीवन में नवीनता आगयी। हर चीज नयी है, हर सोच नयी है, हर भावना नयी है। बोलने का तरीका, व्यवहार, खाने-पीने का तरीका, काम करने का तरीका, सब नया है, जीवन जीने का तरीका नया है। जब इतनी नवीनता आजायेगी तब सही मायने में आत्मा का दीप जल गया। जब हम ये सब कुछ करते हैं जीवन में श्रीलक्ष्मी का आह्वान करते हैं।
दिवाली के दिन हम सभी स्वस्तिक बनाते हैं। यानी स्वस्तिक शब्द देखें तो इसका अर्थ स्व का अस्तित्व भी है। मुझ आत्मा का अस्तित्व।
जब देने वाला हाथ बन जाता है, तब श्रीलक्ष्मी का आह्वान होता है। लक्ष्मी मतलब मन का लक्ष्य, हमारे जीवन का उद्देश्य। जो भी हम कर्म करें, उसमे जीवन का उद्देश्य होना चाहिए। मतलब हर कर्म करते हुए हम सब को कुछ देते रहें। जब देते रहेंगे तब आत्मा भरपूर रहेगी। लक्ष्मी अर्थात मेरे जीवन का लक्ष्य है सदा देते रहना। मैं देने वाली आत्मा हूँ। मैं कलियुग नहीं सतयुग लाने वाली आत्मा हूँ। जब उस स्वअस्तित्व में स्थित रहकर हर कार्य करेंगे तब हर कार्य शुभ होगा। जीवन में श्रीलक्ष्मी का आवाह्न होगा और सृष्टि पर स्वर्ग आएगा।


Published: 02-11-2021

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