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सह-अस्तित्ववादी विज्ञान : आवर्तनशील कृषि

सहअस्तित्व खेती में पोषण सिर्फ धरती से नहीं बल्कि पानी, वायु और जीवों के संतुलन के साथ भी होता है इसलिए कृषि को अस्तित्व की व्यवस्था अर्थात हवा, पानी, मिट्टी, प्रकाश, अन्य वनस्पति और पशु, पक्षी, जीव-जंतु के साथ समझने की आवश्यकता है जिससे सहअस्तित्व के नियम व विधि से उत्पादन होने से उत्पादन में विपुलता और समृद्धि आती है.

आवर्तनशील कृषि
आवर्तनशील कृषि

सहअस्तित्व खेती में पोषण सिर्फ धरती से नहीं बल्कि पानी, वायु और जीवों के संतुलन के साथ भी होता है इसलिए कृषि को अस्तित्व की व्यवस्था अर्थात हवा, पानी, मिट्टी, प्रकाश, अन्य वनस्पति और पशु, पक्षी, जीव-जंतु के साथ समझने की आवश्यकता है जिससे सहअस्तित्व के नियम व विधि से उत्पादन होने से उत्पादन में विपुलता और समृद्धि आती है. यहीं से मल्टी क्रॉपिंग, मल्टी लेयर कृषि और सभी का पोषण सभी की भागीदारी के सिद्धांत को समझा जा सकता है. ऐसी खेती में मेहनत और लागत कम और उत्पादन ज्यादा रहता है. कृषिकार्य में एनर्जी के सोर्स पर भी काम करने की आवश्यकता है क्योंकि ऊर्जा का वातावरण के प्रभाव में एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है. जैव विविधता के सिद्धांत को जीने दो और जियो को समझे जाने की आवश्यकता है तभी खेती पृथ्वी की समग्र व्यवस्था में भागीदारी कर वातावरण में संतुलन में अपनी भूमिका का निर्वाह कर सकती है. कृषि उत्पादन में निश्चित अच्छी दूरी के सिद्धांत को भी पहचानने की आवश्यकता है तभी सभी वृक्ष और पौधों को अपने विकास के लिए आवश्यक स्थान मिल पाता है. कृषि कार्य में काल के आधार पर समय के प्रबंधन को भी पहचानना होता है. ऐसी कृषि प्रणाली की विवेक सम्मत विज्ञान को प्रमाणित करती है. खेती लागत से नहीं समझ से होगी. हमें पूंजी का निवेश नहीं समझ का निवेश करना है.

उक्त विचार ऑर्गेनिक खेती के लिए हजारों किसानों को प्रेरित कर चुके पद्मश्री डॉक्टर भारत भूषण त्यागी ने "सह-अस्तित्ववादी विज्ञान और आवर्तनशील कृषि का अन्योन्याश्रित संबंध : समाधानकारी उपाय" विशेष व्याख्यान बोलते हुए व्यक्त किए जिसका आयोजन डॉ बी आर अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय महू की मध्यस्थ दर्शन सह अस्तित्व शोध पीठ के द्वारा गत दिवस किया था. विशेष व्याख्यान के पूर्व शोध पीठ की मानद आचार्य सुनीता पाठक ने पद्मश्री भारत भूषण जी का परिचय देते हुए बताया कि उन्हें पद्मश्री के अतिरिक्त अनेकों राष्ट्रीय सम्मान उसे अलंकृत किया जा चुका है वे अनेक विश्वविद्यालयों में आवर्तनशील और सह अस्तित्ववादी कृषि के सिद्धांतों को लेकर विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उन्होंने हजारों की संख्या में किसानों को ऑर्गेनिक खेती के लिए प्रेरित, प्रशिक्षित और सहयोग प्रदान किया है. मध्यस्थ दर्शन से अस्तित्ववाद शोध पीठ विशेष व्याख्यान की श्रंखला का आयोजन कर रहा है इस व्याख्यान से पूर्व "नर नारी समानता : माननीय व्यवस्था का आधार" विषय पर प्रोफेसर अंजलि अवधिया का विषेश व्याख्यान अयोजित किया गया था. इस व्याख्यानमाला का उद्देश्य सह अस्तित्ववादी विचार दर्शन और मानसिकता शोध अध्ययन विधि से अकादमिक जगत में प्रतिष्ठित करना है. मानद आचार्य सुनीता पाठक ने यह भी कहा कि इन सभी विशेष व्याख्यान ओं का प्रकाशन विशेष रिपोर्ट के रूप में किया जाएगा. कार्यक्रम का संचालन एवं आभार प्रदर्शन शोध पीठ के समन्वयक डॉ सुरेंद्र पाठक ने किया जिसमें बड़ी संख्या में आवर्तनशील कृषि कार्य में लगे हुए विशेषज्ञों, कृषि शिक्षकों एवं विश्वविद्यालय के अध्यापकों ने भाग लिया.


Published: 13-11-2021

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