महर्षि महेश योगी का जन्म 12 जनवरी सन 1918 में हुआ था उनका मूल नाम महेश प्रसाद वर्मा था. उन्हों ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातक की उपाधि अर्जित की. उन्होने तेरह वर्ष तक ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती के सानिध्य में शिक्षा ग्रहण की. महर्षि महेश योगी ने शंकराचार्य की मौजूदगी में रामेश्वरम में 10 हजार बाल ब्रह्मचारियों को आध्यात्मिक योग और साधना की दीक्षा दी. हिमालय क्षेत्र में दो वर्ष का मौन व्रत करने के बाद सन् 1955 में उन्होने टीएम तकनीक की शिक्षा देना आरम्भ की. सन् 1957 में उनने टीएम आन्दोलन आरम्भ किया और इसके लिये विश्व के विभिन्न भागों का भ्रमण किया. महर्षि महेश योगी द्वारा चलाया गए आंदोलन ने उस समय जोर पकड़ा जब रॉक ग्रुप 'बीटल्स' ने 1968 में उनके आश्रम का दौरा किया. इसके बाद गुरुजी का ट्रेसडेंशल मेडिटेशन अर्थात भावातीत ध्यान पूरी पश्चिमी मैं प्रसिद्ध हुआ.
महर्षि महेश योगी ने वेदों में निहित ज्ञान पर अनेक पुस्तकों की रचना की. महर्षि महेश योगी ने चौरासी कुटिया आश्रम की स्थापना 1961 में 7.5 हेक्टर भूमि वन भूमि पर की थी. यह आश्रम चारों ओर से प्राकृतिक वातावरण से घिरा हुआ हैं. यहाँ पर महेश योगी ने योग और ध्यान लगाना सीखा था. महर्षि ने इस स्थान को इसलिए चुना था क्योंकि इस स्थान पर गंगा नदी की पवन जलधारा की आवाज साफ़ साफ़ सुनी जा सकती हैं. जब विट्ठलस बैंड की लोकप्रियता काफी खत्म हो गई थी जिस कारण विपक्ष ब्रदर काफी तनाव में आ गए थे तनाव मुक्त करने के लिए अपने बैंड के सभी साथियों को लेकर फरवरी 1968 में अमेरिका के मशहूर बैंड “बीटल्स” के सदस्य जॉन लेनोन, पॉल मैकार्टनी, जॉर्ज हैरीसन और रिंगो स्टार अपने परिवार और करीब 300 अन्य लोगों के साथ फरवरी 1968 में भारत आए थे. बीटल्स बैंड के सभी सदस्य घूमते हुए ऋषिकेश स्वर्ग आश्रम स्थित महर्षि महेश योगी की तपस्थली 84 कुटी पहुंचे, जहां पर उन्होंने देखा कि यह चारों तरफ शांति का वातावरण बना हुआ है. उन्होंने वही आश्रम में रहने की इच्छा जाहिर की.
महर्षि द्वारा बताया गया कि आश्रम में रहने वाले लोगों के कुछ नियम व कानून है. उनको इन नियमों का पालन करना पड़ता है. आश्रम में रहने वाले अनुयायियों को बाहर से लाई हुई वस्तुओं को ग्रहण करने की अनुमति नहीं है. यहीं पर खाने पीने की वस्तुओं को उगाया जाता है. गेहूं को उगाया जाता है और आश्रम में ही बनी हुई आटे की चक्की में गेहूं को पीसकर आटे का भोजन आश्रम में स्थित रसोई में बनाया जाता है. आश्रम मैं कई प्रकार की सब्जियां भी उगाई जाती थी. इस तरह आश्रम में लगभग रोजाना 300-400 लोगों का भोजन बनता था जिसे वहां पर रहने वाले अनुयाई ग्रहण करते थे. महर्षि महेश योगी की तपस्थली 84 कुटी में रहने के पश्चात बीटल्स ब्रदर्स ने कई धुने बनाई जो पूरे विश्व में काफी प्रसिद्ध हुई. इन दोनों के कारण बीटल्स बैंड पूरे विश्व में काफी प्रसिद्ध हुआ. वही हेलीपैड 84 कुटी में था. यहां पर आज भी महर्षि महेश योगी के आश्रम यादों को सुरक्षित रखा हुआ है. यहां पर देश-विदेश से भारी मात्रा में लोग दर्शन करने और घूमने के लिए आते हैं. मेडिटेशन के लिए भी यह स्थान काफी उपयुक्त माना गया है. बता दें कि आज भी 84 कुटी में एक प्रेस है. जहां पर महर्षि महेश योगी द्वारा लिखी गई कहीं पुस्तकों को छापा गया था. वही आज भी रसोईघर, बेकरी, मेडिटेशन योगा करने वाला हॉल, जर्जर हालत में है जिसे देखने के लिए दूरदराज से देश-विदेश से लोग भारी मात्रा में आते हैं. इसी आश्रम पर रहकर बीटल्स सहित अन्य प्रसिद्ध लोगों ने ध्यान सीखा जिसके बाद इसका नाम बीटल्स आश्रम कर दिया गया.
लीज खत्म होने के बाद 1970 से यह आश्रम खाली पड़ा हुआ हैं.महर्षि योगी और उनके अनुयायी विदेशो में जा बसे. बीटल्स आश्रम को राजाजी टाइगर रिज़र्व द्वारा इसके नेचर सेंटर के रूप में विकसित किया गया हैं. यहाँ पर हजारों सैलानी इस आश्रम को देखने के लिए हर वर्ष पहुँचते हैं. आज यहां पर 300 प्रजाति के पक्षी देखने को मिलते हैं. यहां पर आने के बाद लोगों को सुख शांति का अहसास मिलता है और मेडिटेशन के लिए यह एक अद्भुत स्थान है.