बार्सिलोना का जलवा हवा हुआ
बीते कुछ सीज़न्स में स्पेनिश फुटबॉल क्लब ऍफ़ सी बार्सिलोना का पतन काफ़ी निराशाजनक एवं आश्चर्यजनक रहा है. एक समय पर 'स्पेनिश जायंट्स' कही जाने वाली टीम अब लीग में सातवें स्थान पर है और सितम्बर माह में खेले गए अपने किसी भी मैच में जीत हासिल करने में नाकामयाब रही.
सन 2014 में जोसेप मारिया बार्टोमेउ ने बार्सिलोना की प्रेसीडेंसी का भार संभाला जिसके कुछ समय बाद से इस क्लब में कई दिक्कतें दिखाई देने लगीं. बीते 4 सालों की बात करे तो बार्सिलोना का खेल व मैनेजमेंट बद से बदतर होता चला गया है. पिछले साल बार्टोमेउ प्रशासन के कई करप्शन के मामले सामने आये जिसमे 'बारसागेट' भी शामिल था. इस सबके चलते बार्सिलोना में अंदरूनी अस्थिरता छायी हुई है और यह क्लब लगभग $1.6 बिलियन (करीब 1.1 खरब रूपए ) के कर्ज़े में चल रहा है।.
ख़राब मैनेजमेंट का एक और उदाहरण बार्सिलोना के पिछले कुछ ट्रांसफर्स और कोच अपॉइंटमेंट्स भी रहे हैं. पिछले सीज़न में लुइस सुआरेज़ को एटलेटिको मेड्रिड को बेचने के बाद ये बात और प्रत्यक्ष हो गयी कि मैनेजमेंट को टीम की बेहतरी से ज़्यादा अपनी जेब भरने की चिंता है. ट्रिंकाओं, प्यानीच, ग्रिएजमान और भी कई प्लेयर्स को बहार लोन पे भेज दिया क्योकि उन्हें सैलरी देने के पैसे नहीं थे. इसी दौरान किकी सेटीएन व कोमन जैसे मैनेजर्स को अप्पोइंट किया गया जिसके बाद से बार्सिलोना का प्रदर्शन काफ़ी ख़राब हो चुका है. गौरतलब बात ये भी है की पिछले माह ही कोमन ने कहा था की उनकी वजह से बार्सिलोना का कोई भविष्य है जिसके बाद हुए 3 मैच में बार्सिलोना एक भी जीत नहीं हासिल कर पाया है और केवल 1 गोल कर पाए है. इसी करप्शन के कारण इनके स्टार प्लेयर लिओनेल मेस्सी को भी बार्सिलोना छोड़कर जाना पड़ा था.
अगर आने वाले समय में बार्सिलोना इन् दिक्कतों से उभरकर बेहतर प्लेयर ट्रासंफर व मैनेजर अपॉइंटमेंट्स नहीं कर पाता है तो निश्चय ही बार्सिलोना बस एक "ग्लोरियस पास्ट" वाली टीम बनकर रह जाएगी और उनका "गोलिअथ" से "डेविड" में का परिवर्तन पूरा हो जायेगा.