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आबादी का विस्फोट : आखिर कब तक

लखनऊ में पुरानी जेल रोड पर बने मान्यवर कांशीराम ग्रीन (ईको) गार्डन के प्रशासनिक भवन में संचालित उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग 7 जुलाई को अचानक चर्चा में आ गया. इसी दिन आयोग ने अपनी वेबसाइट पर 18 पन्नों में कुल छह चैप्टर वाला ‘उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकण व कल्याण) विधेयक-2021’का प्रस्तावित ड्राफ्ट (मसौदा) जनता की राय जानने के लिए अपलोड कर दिया.

आखिर कब तक
आखिर कब तक


लखनऊ में पुरानी जेल रोड पर बने मान्यवर कांशीराम ग्रीन (ईको) गार्डन के प्रशासनिक भवन में संचालित उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग 7 जुलाई को अचानक चर्चा में आ गया. इसी दिन आयोग ने अपनी वेबसाइट पर 18 पन्नों में कुल छह चैप्टर वाला ‘उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकण व कल्याण) विधेयक-2021’का प्रस्तावित ड्राफ्ट (मसौदा) जनता की राय जानने के लिए अपलोड कर दिया. प्रस्तावित ड्राफ्ट बिल (विधेयक) के साथ राज्य विधि आयोग ने अपना जीमेल एकाउंट भी शेयर किया जिस पर लोग अपनी राय दे रहें हैं. राज्य विधि आयोग में चेयरमैन जस्टिस ए0एन0 मित्तल के अलावा दो अन्य सदस्य जगदीश प्रसाद उपाध्याय और सुरेंद्र नाथ श्रीवास्तव हैं. आयोग की सचिव सपना त्रिपाठी हैं. जस्टिस ए0एन0 मित्तल ने 15 जून को दोनों सदस्यों और सचिव के साथ बैठकर जनसंख्या नियंत्रण पर बिल का ड्राफ्ट तैयार करने का निर्णय लिया था. इस ड्राफ्ट को तैयार करने के लिए उत्तर प्रदेश (यूपी) की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य विधि आयोग को कोई निर्देश नहीं दिया था. आयोग ने अपनी स्वपे्ररणा से जनसंख्या नियंत्रण संबंधी विधेयक का ड्राफ्ट तैयार किया हैं.

‘उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण व कल्याण) विधेयक-2021’के प्रस्तावित ड्राफ्ट में राज्य में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानूनी उपायों के रास्ते सुझाए गए हैं. इसमें दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी नौकरियों में आवेदन से लेकर पंचायत और स्थानीय निकायों में चुनाव लड़ने पर रोक लगाने का प्रस्ताव है. साथ ही दो से अधिक बच्चे वाले लोगों को सरकारी योजनाओं का भी लाभ न दिए जाने का भी जिक्र है. ऐसे में अगर यह ऐक्ट लागू हुआ तो दो से अधिक बच्चे पैदा करने पर सरकारी नौकरियों में आवेदन और प्रमोशन का मौका नहीं मिलेगा. इसके साथ ही दो से अधिक बच्चे वालों को 77 सरकारी योजनाओं और अनुदान से भी वंचित रखने का प्रावधान है. अगर यह लागू हुआ तो एक वर्ष के भीतर सभी सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों और स्थानीय निकाय में चुने जनप्रतिनिधियों को शपथपत्र देना होगा कि वे इसका उल्लंघन नहीं करेंगे. कानून लागू होते समय उनके दो ही बच्चे हैं. और शपथपत्र देने के बाद अगर वे तीसरी संतान पैदा करते हैं तो प्रतिनिधि का निर्वाचन रद्द करने तथा चुनाव नहीं लड़ने देने का प्र्रस्ताव होगा. इतना ही नहीं सरकारी कर्मचारियो का प्रमोशन और बर्खास्त करने तक की सिफारिश हैं.

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने भले ही आयोग को जनसंख्या नियंत्रण के लिए कड़े कानून बनाने का निर्देश न दिया हो लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले ‘राज्य प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरिकरण व कल्याण) विधेयक-2021’का प्रस्तावित ड्राफ्ट जनता के सामने लाने पर कई सवाल खड़े हो गए हैं. खासकर मुस्लिम समाज इस विधेयक के जरिए योगी सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर रहा हैं. आल इंडिया शिया पर्सनल ला बोर्ड के सचिव और प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास कहते हैं, ‘‘यह ड्राफ्ट महज एक चुनावी स्टंट है. योगी सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण का यह ड्राफ्ट 2022 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पेश किया हैं.’’ मौलाना यासूब के मुताबिक, जनसंख्या नियंत्रण उत्तर प्रदेश का नहीं बल्कि देश का मसला है. इसलिए यह कानून केंद्र सरकार के स्तर से बनना चाहिए सिर्फ उत्तर प्रदेश में कानून लाना समझ से परे है.

वहीं, ड्राफ्ट विधेयक के कानूनी पहलू को समझाते हुए आयोग की सचिव सपना त्रिपाठी बताती हैं, ‘‘भारतीय संविधान की समवर्ती सूची के आइटम नंबर 20-ए में पापुलेशन कंट्रोल और फैमिली प्लानिंग को जगह दी गई हैं चूंकि जनसंख्या नियंत्रण के लिए कोई कानून नहीं है, ऐसे में राज्य कानून बना सकता है,’’ राजस्थान अपने जनसंख्या नियंत्रण के प्रावधानों के लिए एक प्रगतिशील राज्य के तौर पर जाना जाता है, जहां पूर्व मुख्यमंत्री भैरो सिंह शेखावत से लेकर अशोक गहलोत तक ने कई कदम उठाए थे. 1992 में दो बच्चों से ज्यादा बच्चों के पिता को सरकारी नौकरी में रोक का कानून बना था. उसके बाद 2002 में सरकारी नौकरी में रहते हुए दो से ज्यादा बच्चों पर प्रमोशन और इंक्रीमेंट रोकने का कानून बना. फिर तीन बच्चों से ज्यादा पर निलंबन का कानून बना. हालांकि जुलाई 2018 में राजस्थान सरकार ने कैबिनेट से प्रस्ताव पारित कर जनसंख्या नियंत्रण के सरकारी नौकरी से जुड़े प्रवाधनों को ही खत्म कर दिया हैं.

यूपी राज्य विधि आयोग ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए राजस्थान, मध्य प्रदेश और असम में लागू कानूनों का अध्ययन किया है. आयोग के चेयनमैन जस्टिस ए0एन0 मित्तल बताते हैं, ‘‘ देश की आजादी के समय से ही जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की जरूरत थी उत्तर प्रदेश की जनसंख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाना जरूरी है। कई राज्यों ने इस दिशा में कदम उठाए हैं. जनसंख्या वृद्धि पर रोक नहीं लगाई गई तो बेरोजगारी, भुखमरी समेत अन्य समस्याएं बढ़ती जाएंगी.’’

वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार, यूपी में हिंदुओं का टोटल फर्टलिटी रेट (टीएफआर) 4.4 था जो कि वर्ष 2011 में 1.8 पाइंट घटकर 2.6 रह गया. इसी प्रकार वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार, मुस्लिमों का टीएफआर 4.8 था जो 1.9 पॅाइंट घटकर 2.9 रह गया. मुस्लिम महिलाओं के उत्थान के लिए काम कर रही आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर बताती हैं, ‘‘हिंदुओं और मुस्लिमों, दोनों समुदाय के टीएफआर में तेजी से हो रही गिरावट यह इशारा करती है कि दोनों समाज के शिक्षित लोग अब परिवार को सीमित रखने पर जोर दे रहें हैं. अशिक्षा और बेरोजगारी ही अधिक बच्चे पैदा करने की वजह बन रहा है. इसलिए जनसंख्या नियंत्रण के लिए कड़े कानून नहीं बल्कि शिक्षा और बेरोजगारी दूर करने के लिए कड़े कानून की जरूरत हैं.’’

आयोग के प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण विधेयक में बहुविवाह पर कड़े कानून का प्रावधान किया गया है आयोग ने ड्राफ्ट में धार्मिक या पर्सनल ला के तहत एक से अधिक शादियां करने वाले दंपतियों के लिए खास प्रावधान किए हैं. अगर कोई व्यक्ति एक से अधिक शादियां करता है और सभी पत्नियों से मिलाकर उसके दो से अधिक बच्चें हैं तो वह भी सुविधाओं से वंचित होगा, जबकि पत्नी सुविधाओं का लाभ ले सकेगी वहीं, अगर महिला एक से अधिक विवाह करती है और अलग-अलग पतियों से मिलाकर दो से अधिक बच्चे होने पर उसे भी सुविधाएं नहीं मिलेंगी. इन प्रावधानों के जरिए मुस्लिम समाज को टारगेट करने का आरोप लगाया जा रहा है. मौलाना यासूब अब्बास कहते हैं, ‘‘सभी चाहते हैं कि जनसंख्या पर कंट्रोल होना चाहिए. यह जरूरी नहीं है कि महज माइनारिटी में ही ज्यादा बच्चे हैं. अगर इस विधेयक के जरिए किसी खास तबके को टारगेट किया जा रहा है तो यह गलत है और हम इसकी मुखालिफत करते हैं.’’

जनसंख्या नियंत्रण पर प्र्रस्तावित विधेयक पर मुस्लिम समाज की आपत्तियों को योगी सरकार खारिज करती है. योगी सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के राज्य मंत्री मोहसिन रजा कहते हैं, ‘‘जनसंख्या नियंत्रण पर प्रस्तावित विधेयक के जरिए किसी भी मजहब या तबके को टारगेट नहीं किया गया है. सबसे पहले कांग्रेस ने केंद्र में अपनी सरकार के दौरान ‘हम दो, का नारा दिया था. अगर उस वक्त इस नारे को हकीकत में बदलने के लिए कानून बन गया होता को आयोग को नया कानून बनाने की जरूरत ही नहीं पड़ती.’’

जनसंख्या नियंत्रण बिल के प्रस्तावित मसौदे के पहले चैप्टर में स्पष्ट लिखा है कि सरकारी गजट में पब्लिश होने की तिथि के एक साल बाद यह कानून लागू होंगा. अगर योगी सरकार अगले दो महीने के भीतर इस विधेयक सदन से पारित कराकर कानून का रूप दे देती है तो 2022 के नवंबर में प्रस्तावित यूपी नगर निगम चुनाव में यह कानून लागू हो जाएगा. ऐसे में पार्षदों की बेचैनी बढ़ गई. लखनऊ नगर निगम के 118 सदस्यीय सदन में 50 प्रतिशत से अधिक पार्षदों के दो या दो से अधिक बच्चे हैं. लखनऊ की मेयर संयुक्त भाटिया के भी तीन बच्चे हैं. यह सभी लोग चुनाव लड़ने से वंचित हो जाएंगे. समाजवादी पार्टी बच्चों पर कानून लाना कुदरत के खिलाफ है. भाजपा सरकार इस तरह कानून लाकर एक बार फिर जनता को गुमराह कर धु्रवीकरण के जरिए चुनाव जीतने क प्रयास कर रही है.’’

जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर छिड़ी बहस के बीच उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य दावा करते हैं कि विपक्ष के कुछ नेता भी इस कानून के पक्षघर हैं मौर्य कहते हैं, ‘‘जनसंख्या नियंत्रण के प्रस्तावित हो रहा है. कई विपक्षी नेता भी इस तरह के कानून के पक्षघर हैं.’’ दूसरी ओर, कानून के जानकार जनसंख्या नियंत्रण के प्रस्तावित विधेयक के कानून बनने पर न्यायालय में कानूनी लड़ाइयों का दौर शुरू होने आशंका जाहिर कर रहे हैं. इलाहाबाद हाइकोर्ट में वरिष्ठ एडवोकेट अभय कुमार कहते हैं, ‘‘जनसंख्या नियंत्रण के प्रस्तावित विधेयक में दो बच्चो से अधिक होने पर व्यक्ति को सरकारी सुविधाओं और चुनाव लड़ने से वंचित करना, एक बच्चे पर नसबंदी कराने वाले लोगो को कई तरह से इंसेन्टिव देने जैसे प्रावधान कई तरह से विवादों को जन्म देंगे. ये व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का भी हनन करेंगे ऐसे में विधेयक के कानून बनने के बाद इसे न्यायालय में चुनौती देने वाली याचिकाओं की बाढ़ आ जाएगी.’’

जनसंख्या नियंत्रण के प्रस्तावित विधेयक पर गर्म हो रहे सियासी तापमान के बीच राज्य विधि आयोग के दफ्तर के भूतल पर मौजूद आयोग की सचिव सपना त्रिपाठी प्रस्तावित ड्राफ्ट बिल पर आने वाली सभी सुझावों को संकलित कर रही हैं. 12 जुलाई की दोपहर तक कुल 4,200 मेल आयोग को मिल चुके थे. सपना बताती हैं, ‘‘जनता की राय जानने के साथ प्रदेश के वरिष्ठ कानूनविदों को भी यह ड्राफ्ट बिल भेजा गया है. 19 जुलाई तक मिले सारे सुझावों को संकलित कर जुलाई के अंत तक आयोग के चेयरमैन को सौंप दिया जाएगा. इसके बाद वे आगे की कार्यवाही करेंगे. ‘‘आयोग इस प्रस्तावित विधेयक पर सभी तरह के सुझावों को समाहित करते हुए 15 अगस्त से पहले इसे योगी सरकार को सौंपने की तैयारी कर रहा है. योगी सरकार के कानून मंत्री बृजेश पाठक कहते हैं, ‘‘अगर अयोग जनसंख्या नियंत्रण पर विधेयक का ड्राफ्ट सौंपता है तो उसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष रखा जाएगा. मुख्यमंत्री के निर्देश पर आगे की कार्यवाही की जाएगी.’’

 

 

 


Published: 30-07-2021

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