उत्तर प्रदेश सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले संविदा व आउटसोर्सिंग पर कार्यरत कार्मिकों का हिसाब-किताब जुटाना शुरू कर दिया है. आने वाले दिनों में इनके संबंध में कुछ सकारात्मक निर्णय हो सकते हैं. शासन ने योगी शासनकाल में रखे गए संविदा व आउटसोर्सिंग कार्मिकों का समूहवार ब्यौरा तलब किया है.
प्रदेश में संविदा व आउटसोर्सिंग पर कार्यरत कार्मिकों को तमाम तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. सामान्य आरोप है कि शासन स्तर से तमाम तरह के दिशानिर्देश जारी किए जाने के बावजूद इनकी मुश्किलें कम नहीं हो पा रही हैं. आउटसोर्सिंग में नियुक्ति के समय पांच से छह महीने के वेतन के बराबर एडवांस रकम की वसूली, नवीनीकरण में पुराने को हटाकर नए को रखने के अलावा समय से मानदेय भुगतान न किए जाने के आरोप कार्मिक लगाते रहते हैं. कार्मिक अलग-अलग स्तर पर अपनी समस्याओं के समाधान के लिए आंदोलन व मांग करते आ रहे हैं.
मंगलवार को विशेष सचिव कार्मिक संजय कुमार सिंह ने समस्त विभागों से वर्ष-2017 से अब तक समूह ‘क’, ‘ख’, ‘ग’ व ‘घ’ के पद पर संविदा व आउटसोर्सिंग के माध्यम से रखे गए कार्मिकों की सूचना तलब की. उन्होंने शासन के समस्त अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों व सचिवों से संविदा व आउटसोर्सिंग पर रखे कार्मिकों की अलग-अलग समूह वार संख्या बताने का आग्रह किया है. उन्होंने अफसरों को यह विशेष रूप से बताया है कि प्रकरण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेशों से जुड़ा हुआ है, लिहाजा इसे शीर्ष प्राथमिकता पर लिया जाए.