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हाईकोर्ट में नौकरी : चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज

हाईकोर्ट में नौकरी के नाम पर 1500 युवाओं से 50 करोड़ रुपए ठगने वाले चार लोगों के खिलाफ मनी लांड्रिंग का केस दर्ज किया गया है. STF ने पिछले साल 2020 में इलाहाबाद और पटना हाईकोर्ट में समीक्षा अधिकारी समेत कई पदों पर नियुक्तियों के लिए बेरोजगार युवकों से करोड़ों की ठगी का खुलासा किया था.

चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज
चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई की है. हाईकोर्ट में नौकरी के नाम पर 1500 युवाओं से 50 करोड़ रुपए ठगने वाले चार लोगों के खिलाफ मनी लांड्रिंग का केस दर्ज किया गया है. STF ने पिछले साल 2020 में इलाहाबाद और पटना हाईकोर्ट में समीक्षा अधिकारी समेत कई पदों पर नियुक्तियों के लिए बेरोजगार युवकों से करोड़ों की ठगी का खुलासा किया था. चार लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था. उस समय तमाम फर्जी दस्तावेज, 1.30 लाख कैश, 37 हजार पुराने नोट, तीन लग्जरी गाड़ियां बरामद हुई थीं.

गिरफ्तार किए गए आरोपियों में हाईकोर्ट कोऑपरेटिव सोसाइटी का तत्कालीन सचिव सोरांव के अरसई गांव निवासी मो. शमीम अहमद इस गिरोह का मास्टरमाइंड था. इसके अलावा राघवेंद्र सिंह, नीरज पराशर और रमेश चंद्र यादव शामिल को पकड़ा गया था. चारों आरोपियों ने अवैध रूप से कमाए गए धन से करोड़ों की संपत्ति अर्जित कर ली थी. ED ने अब इन आरोपियों के खिलाफ मनी लांड्रिंग का केस दर्ज किया है.

STF के CO नावेंदु कुमार ने बताया कि जांच के दौरान यह बात सामने आई थी आरोपियों ने ठगी के पैसों से अकूत संपत्ति बनाई थी. सरगना शमीम ने ऑटोमोबाइल एजेंसी व करोड़ों की जमीन में इन्वेस्टमेंट किया था. अब ED की ओर से इन्हीं बिंदुओं पर जांच की जा रही है. अवैध कमाई से बनाई गई संपत्तियां को अब अटैच करने की योजना है.

गिरोह का सरगना शमीम काफी शातिर है. वह खुद को हाईकोर्ट का डिप्टी रजिस्ट्रार बताकर युवाओं को अपने झांसे में ले लेता था. वह इलाहाबाद, पटना उच्च न्यायालय में समीक्षा अधिकारी, सहायक समीक्षा अधिकारी, उपनिबंधक, लिपिक आदि पदों पर नियुक्ति दिलाने का ठेका लेता था. यही नहीं सेतु निगम में लिपिक और चपरासी के पदों के लिए भी उसने युवाओं को ठगी का शिकार बनाया. इस तरह से उसने 1500 लोगों से 50 करोड़ रुपये की भारी भरकम रकम ठगी थी.

गिरोह के अन्य सदस्यों में से एक राघवेंद्र सिंह एमएनएनआईटी (मोतीलाल नेहरु राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान) में असिस्टेंट प्रोफेसर था. वह संस्थान से भी विभिन्न आरोपों में सस्पेंड चल रहा था. पिछले साल STF ने इसका खुलासा किया था तो उस समय सरगना के पास से नियुक्ति पत्र, विभिन्न अखबारों में प्रकाशित विज्ञापन, सेवाग्रहण आदेश, तमाम अभ्यर्थियों के अंक और प्रमाण पत्र, 12 बैंकों के चेक आर्टिगा, इटियास और वैगन आर कारों के साथ सात मोबाइल मिले थे.

इतने बड़े मामले के खुलासे के बाद भी थाना शिवकुटी ने चारों आरोपियों पर गैंगस्टर की धाराओं में मुकदमा नहीं दर्ज किया था. इस मामले में पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं. जो काम ED अब कर रहा है, उसे पुलिस को पहले ही करना चाहिए था.

 


Published: 04-07-2021

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