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महंगाई : डंके की चोट पर कहिये कि हां देश में कोई महंगाई नहीं

11 वर्षों के अंतराल में हुए रूपये के अवमूल्यन की गणना कर दीजिए तो उपरोक्त वृद्धि नगण्य प्रतीत होगी तथा किसानों को दी जा रही MSP से लेकर सातवें वेतन आयोग के बाद हुई वेतन वृद्धि को इस विश्लेषण में सम्मिलित कर लें तो डंके की चोट पर कह सकते हैं कि हां देश में कोई महंगाई नहीं है

डंके की चोट पर कहिये कि हां देश में कोई महंगाई नहीं
डंके की चोट पर कहिये कि हां देश में कोई महंगाई नहीं

महंगाई की सच्चाई को जानने समझने के लिए इन तथ्यों से परिचित होइए।

2010 में कांग्रेस की यूपीए सरकार किसानों को गेंहू का समर्थन मूल्य 10.80 रू प्रति किलो दे रही थी और बाजार में आटा रू 20 रू प्रति किलो बिक रहा था।
2021 में मोदी सरकार किसानों को गेंहू का समर्थन मूल्य 19.75 रू प्रति किलो (2010 की तुलना में 90% अधिक) दे रही है और बाजार में आटा 20 रू प्रति किलो (2010 की तुलना में केवल 40% अधिक) की दर से बिक रहा है।

2010 में कांग्रेस की यूपीए सरकार किसानों को धान का समर्थन मूल्य 9.50 रु प्रतिकिलो दे रही थी और बाजार में चावल (मोटा) 25 रू प्रतिकिलो बिक रहा था। जबकि 2021 में मोदी सरकार किसानों को धान का समर्थन मूल्य 18.88 रूपये प्रतिकिलो (2010 की तुलना में 99% अधिक) दे रही है और बाजार में चावल (मोटा) 30 रू प्रति किल (2010 की तुलना में केवल 20% अधिक) की दर से बिक रहा है।

2010 में कांग्रेस की यूपीए सरकार किसानों को अरहर का समर्थन मूल्य 23 रू प्रतिकिलो दे रही थी और बाजार में अरहर दाल 90 रू प्रतिकिलो बिक रही थी।
2021 में मोदी सरकार किसानों को अरहर दाल का समर्थन मूल्य 60 रूपये प्रतिकिलो (2010 की तुलना में 161% अधिक) दे रही है। और बाजार में अरहर दाल 108 रू प्रति किलो बिक रही है। (2010 की तुलना में केवल 20% अधिक)

2010 में कांग्रेस की यूपीए सरकार किसानों को मूंग दाल का समर्थन मूल्य 27.60 रू दे रही थी और बाजार में मूंग दाल 87 रू प्रतिकिलो बिक रही थी।
2021 में मोदी सरकार किसानों को मूंग दाल का समर्थन मूल्य 71.96 रूपये प्रतिकिलो (2010 की तुलना में 162% अधिक) दे रही है और बाजार में मूंग दाल 99 रू प्रति किलो बिक रही है। (2010 की तुलना में केवल 12% अधिक)

2010 में कांग्रेस की यूपीए सरकार किसानों को उड़द दाल का समर्थन मूल्य 25.20 रू प्रतिकिलो दे रही थी और बाजार में उड़द दाल 85 रू प्रति किलो बिक रही थी। 2021 में मोदी सरकार किसानों को उड़द दाल का समर्थन मूल्य 60 रुपये प्रतिकिलो (2010 की तुलना में 138% अधिक) दे रही है और बाजार में उड़द दाल 152 रू प्रति किलो बिक रही है। ((2010 की तुलना में 79% अधिक)

2010 में कांग्रेस की यूपीए सरकार किसानों को गन्ने का समर्थन मूल्य 107.76 रू प्रति क्विंटल दे रही थी और बाजार में चीनी 42 रू प्रतिकिलो बिक रही थी।
2021 में मोदी सरकार किसानों को गन्ने का समर्थन मूल्य 315 रूपये प्रति क्विंटल (193% अधिक) दे रही है और बाजार में चीनी 37 रू प्रति किलो (2010 की तुलना में 12% कम) की दर से बिक रही है।
इनके अलावा
2010 में अन्य खाद्य पदार्थों का मूल्य यह था...
जीरा 200 रू प्रतिकिलो, हल्दी 140 रू प्रतिकिलो, धनिया 200 रू प्रतिकिलो, मिर्च 205 रू प्रतिकिलो, सरसों का तेल 87 रू प्रतिकिलो, रिफाइंड ऑयल 90 रू प्रतिकिलो। चाय 270 रूपये प्रतिकिलो।
जबकि आज 11 वर्ष बाद फरवरी 2021 में
जीरा 280 रू प्रतिकिलो (40% वृद्धि), हल्दी 200 रू प्रतिकिलो ( कोई वृद्धि नहीं), धनिया 200 रू प्रतिकिलो (कोई वृद्धि नही), मिर्च 300 रू प्रतिकिलो (46% वृद्धि), सरसों का तेल 140 रू प्रतिकिलो (50% वृद्धि), रिफाइंड ऑयल 135 रू प्रतिकिलो (50% वृद्धि), चाय 470 रूपये प्रतिकिलो। (75%वृद्धि)
उल्लेखनीय है कि फरवरी 2010 में डीजल का रेट 51 रूपये प्रति लीटर था। आज 80 रूपये प्रति लीटर है।अर्थात 2010 की तुलना में ढुलाई का खर्च आज लगभग 59% अधिक है। इसके बावजूद 11 वर्ष बाद भी केवल उड़द दाल और चाय की पत्ती को छोड़कर किसी भी खाद्य पदार्थ के मूल्य में 50% से अधिक वृद्धि नहीं हुई है। इतनी लम्बी अवधि में हुई इस वृद्धि को क्या महंगाई कहा जा सकता है.? सामान्य खाद्य पदार्थों के अलावा याद करिये और विचार करिये कि आज से 7-8 वर्ष पूर्व मोबाइल, टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन, एयरकंडीशनर के जो दाम हुआ करते थे क्या उनमें वृद्धि हुई है या कमी.? ऐसा करने पर आपको ज्ञात होगा कि दाम बढ़े नहीं कम हुए हैं। उल्लेखनीय है कि 2010 में मुद्रास्फीति की दर 11.99 और 2013 में 9.40 थी अर्थात स्थिति में कोई विशेष परिवर्तन नहीं हुआ था।
मेरे विचार से उपरोक्त तथ्य ही पर्याप्त हैं इसलिए मैंने उल्लेख नहीं किया है लेकिन इन 11 वर्षों के अंतराल में हुए रूपये के अवमूल्यन की गणना कर दीजिए तो उपरोक्त वृद्धि नगण्य प्रतीत होगी तथा किसानों को दी जा रही MSP से लेकर सातवें वेतन आयोग के बाद हुई वेतन वृद्धि को इस विश्लेषण में सम्मिलित कर लूं तो डंके की चोट पर कह सकता हूं कि... हां देश में कोई महंगाई नहीं है।


Published: 19-02-2021

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