हामिद अंसारी सरीखे को राष्ट्रवाद से डर लगना ही चाहिए
सतीश मिश्र : लखनऊ : जिस तरह सांप को राष्ट्रीय पक्षी मोर से डर लगता है उसी तरह हामिद अंसारी को राष्ट्रवाद से डर क्यों लगता है ? इसका कारण भी इन तथ्यों से जान समझ लीजिए. पिछले वर्ष 6 जुलाई 2019 को भारत की मुख्य खुफिया एजेंसी रॉ (Research & Analysis Wing) के मुखिया रहे कुछ अधिकारियों समेत कई अन्य वरिष्ठ रॉ अधिकारियों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपना लिखित मांगपत्र सौंपकर उनसे मांग की थी कि ईरान में राजदूत के रूप में तैनाती के दौरान हामिद अंसारी की भारत विरोधी करतूतों की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए. उन रॉ अधिकारियों ने बताया था कि 1990 से 1992 के दौरान हामिद अंसारी ईरान में भारत का राजदूत था. उसी दौरान ईरान की खुफिया एजेंसी को रॉ के अधिकारियों की गतिविधियों की जानकारी हामिद अंसारी दे देता था. ईरान की खुफिया एजेंसी ने इसी आधार पर भारतीय दूतावास में कार्यरत संदीप कपूर नाम के एक रॉ अधिकारी को पकड़ लिया था. संदीप कपूर को हिरासत में क्यों लिया गया ? हिरासत के दौरान उनको कहां रखा गया ? इसकी कोई जानकारी ईरानी खुफिया एजेंसी ने नहीं दी थी और 3 दिन बाद संदीप कपूर को मरणासन्न हालत में एक सुनसान संकरी सड़क पर फेंक दिया गया था. उस पूरे घटनाक्रम के दौरान और बाद में भी भारतीय राजदूत के रूप हामिद अंसारी ने उस घटनाक्रम के खिलाफ ईरान सरकार के समक्ष कड़ी नाराजगी आपत्ति दर्ज कराने के बजाय संदेहास्पद मौन साधे रखा था. परिणामस्वरूप भारतीय दूतावास के समस्त कर्मचारियों में भयानक असन्तोष और आक्रोश व्याप्त हो गया था. लेकिन हामिद अंसारी की शातिर/संदेहास्पद चुप्पी का दुष्परिणाम यह हुआ था कि कुछ दिनों बाद ही ईरानी खुफिया एजेंसी ने भारतीय दूतावास में कार्यरत एक अन्य रॉ अधिकारी डीबी माथुर का अपहरण कर लिया था. 2 दिनों तक उनका भी कोई पता नहीं चला था. इस बार पुनः हामिद अंसारी चुप्पी साधे रहा था. उसकी चुप्पी के ख़िलाफ़ डीबी माथुर की पत्नी समेत दूतावास में कार्यरत अधिकारियों कर्मचारियों की पत्नियों के 30 सदस्यीय दल ने जब हामिद अंसारी से मिलने की कोशिश की थी तो उसने उनसे मिलकर उनकी बात सुनने तक से भी मना कर दिया था. हामिद अंसारी की इस करतूत के नतीजे में उन महिलाओं के गुस्से का ज्वालामुखी फूट गया था. डीबी माथुर की पत्नी जबरदस्ती दरवाजा खोलकर हामिद अंसारी के कमरे में घुस गईं थीं. दूतावास के अधिकारियों कर्मचारियों ने सीधे दिल्ली सम्पर्क कर तत्कालीन प्रधानमंत्री को पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया था. तब जाकर दिल्ली के सीधे हस्तक्षेप के पश्चात डीबी माथुर की रिहाई सम्भव हो सकी थी. इसके बाद हामिद अंसारी ने ईरान में रॉ का दफ़्तर ही बन्द कर देने का सुझाव भारत भेजा था. उल्लेखनीय है कि यह पूरा घटनाक्रम उस समय वरिष्ठ रॉ अधिकारी रहे आरके यादव ने अपनी पुस्तक Mission R&AW में भी विस्तार से लिखा है. उसी पुस्तक में उन्होंने यह भी जानकारी दी है कि हामिद अंसारी के लड़के को ईरानी एजेंसियों ने दो बार ईरानी वेश्याओं के साथ आपत्तिजनक हालत में पकड़ा था लेकिन दोनों बार बिना किसी कार्रवाई या पूछताछ के उसको छोड़ दिया गया था. अतः ऐसी देशघाती करतूतों वाला हामिद अंसारी इसीलिए आज ये कह रहा है कि "कोरोना वायरस महामारी संकट से पहले ही भारत दो अन्य महामारियों ''धार्मिक कट्टरता'' और ''आक्रामक राष्ट्रवाद'' का शिकार हो चुका है. आक्रामक राष्ट्रवाद के बारे में भी काफी कुछ लिखा गया है. इसे वैचारिक जहर भी कहा गया है." अतः हामिद अंसारी के अंदर भरा यह ज़हर, यह भय बिल्कुल ठीक है, क्योंकि सांप को भी राष्ट्रीय पक्षी मोर से डर लगता है उसी तरह हामिद अंसारी को भी राष्ट्रवाद सरीखी पवित्र विचारधारा के प्रवाह से डर लगता है. दुर्भाग्य से ऐसे देशघाती हामिद अंसारी को कांग्रेस ने दस वर्षों तक देश के उप राष्ट्रपति की कुर्सी सौंप दी थी.