कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी सुधार
डा. श्रीकांत श्रीवास्तव : नयी दिल्ली : संसद में कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य(संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक 2020 और कृषक(सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आस्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 को पास कर कृषि क्षेत्र में अब तक के सबसे बड़े सुधार को अमली जामा पहनाया गया है. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह दोंनों विधेयक कानून बन जायेंगे. हमारे देश में खेती का शुरू से बहुत बड़ा महत्व रहा है. खेती को प्राचीन काल में सर्वोत्तम माना जाता था. उत्तम खेती मध्यम बान. आजादी के बाद खेती में सुधार की प्रक्रिया जारी रही तथा हरित क्रांति जैसे आन्दोलनों ने जन्म लिया लेकिन मूल विषय वही का वही रहा. खेती किसान के लिए फायदे का सौदा नहीं बन पायी. देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण होने के बावजूद खेती का उधोग नहीं बन पाना दुर्भाग्यपूर्ण था. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों के इस दर्द को समझा और खेती में आमूल-चूल परिवर्तन करने की बात सोची. राष्ट्रीय कृषि निर्यात नीति आयी जिसमें 2022 तक कृषि के निर्यात को दोगुना कर 60 अरब डालर करने का लक्ष्य रखा गया. प्रधानमंत्री ने किसानों की आय को भी दोगुना करने का संकल्प किया और इस दिशा में काम भी शुरू हुए. कृषि के परम्परागत स्वरूप को बदल कर उसे आधुनिक तकनीकी से जाड़ना एक बड़ा कार्य था जिसे सरकार ने किया. इस बात का प्रयास मोदी सरकार ने किया कि किसान गांव की मंडी तक ही न सिमट कर रह जाय. वह अपनी उपज भारत और विश्व में कहीं भी बेच सके. एक देश एक बाजार मोदी सरकार की सबसे बड़ी सकारात्मक सोच है. अन्नदाता को साधन सम्पन्न बनाना, विज्ञान से जोड़ना, उपज का सही मूल्य दिलवाना और सबसे बड़ी चीज किसान की सोच में परिवर्तन लाना- यह सब एक बहुत बड़ी चुनौती थी जिसे मोदी सरकार ने सहज रूप से हल किया. कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक 2020 किसानों को उनकी उपज के विक्रय की स्वतंत्रता प्रदान करते हुए ऐसी व्यवस्था का निर्माण करता है जहां किसान एवं व्यापारी कृषि उपज मंडी के बाहर भी अन्य माध्यम से सरलतापूर्वक व्यापार कर सकें. यह विधेयक राज्यों की अधिसूचित मंडियों के अतिरिक्त राज्य के भीतर एवं बाहर के किसी भी स्थान पर किसानों को अपनी उपज निर्बाध रूप से बेचने के लिए अवसर एवं व्यवस्थाएं प्रदान करेगा. किसानों को अपने उत्पाद के लिए कोई उपकर नहीं देना होगा और उन्हें माल ढुलाई का खर्च भी वहन नहीं करना होगा. विधेयक किसानों को ई-ट्रेडिंग मंच उपलब्ध कराएगा जिससे इलेक्ट्रोनिक माध्यम से निर्बाध व्यापार सुनिश्चित किया जा सके. मंडियों के अतिरिक्त व्यापार क्षेत्र में फार्मगेट, कोल्ड स्टोरेज, वेयर हाउस, प्रसंस्करण युनिटों पर भी व्यापार की स्वतंत्रता होगी. किसान खरीददार से सीधे जुड़ सकेंगे जिससे बिचैलियों को मिलने वाले लाभ के बजाए किसानों को उनके उत्पाद की पूरी कीमत मिल सके. कृषक (सश्क्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 के जरिए किसानों को व्यापारियों, कंपनियों, प्रसंस्करण इकाइयों, निर्यातकों से सीधे जोड़ा जायेगा. कृषि करार के माध्यम से बुवाई से पूर्व ही किसान को उसकी उपज का दाम निर्धारित किया जायेगा. बुवाई से पूर्व किसान को मूल्य का आश्वासन होगा तथा दाम बढ़ने पर न्यूनतम मूल्य के साथ अतिरिक्त लाभ मिलेगा. इस विधेयक की मदद से बाजार की अनिश्चितता का जोखिम किसानों से हटकर प्रायोजकों पर चला जायेगा. मूल्य पूर्व में ही तय हो जाने से बाजार में कीमतों में आने वाले उतार-चढ़ाव का प्रतिकूल प्रभाव किसान पर नहीं पड़ेगा. इससे किसानों की पहुच अत्याधुनिक कृषि प्रौद्योगिकी, कृषि उपकरण एवं उन्नत खाद बीज तक होगी और इससे विपणन की लागत कम होगी और किसानों की आय में वृद्धि सुनिश्चित होगी. किसी भी विवाद की स्थिति में उसका निपटारा 30 दिवस में स्थानीय स्तर पर करने की व्यवस्था की गई है. इस विधेयक की खास बात यह है कि किसान अनुबंध में पूर्ण स्वतंत्रता रहेगी कि वह अपनी इच्छा के अनुरूप दाम तय कर उपज बेच सकेगा. उन्हें अधिक से अधिक 3 दिन के भीतर भुगतान प्राप्त होगा. देश में 10 हजार कृषक उत्पादक समूह निर्मित किए जा रहे हैं. यह समूह (एफपीओ) छोटे किसानों को जोड़कर उनकी फसल को बाजार में उचित लाभ दिलाने की दिशा में कार्य करेंगे. अनुबंध के बाद किसान को व्यापारियों के चक्कर काटने की आवश्यकता नहीं होगी. सरकार द्वारा लाए गए इन विधेयकों से आत्मनिर्भर खेती अभियान को बल मिलेगा. प्रधानमंत्री की विशेष पहल पर खेती में अब तक जो सुधार किए गए उसी का नतीजा है कि कोविड-19 की विपरीत परिस्थितियों के बावजूद 2019-20 में रिकार्ड 296 दशमलव 65 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन सम्भव हुआ है. रबी 2020 के लिए सरकार ने 301 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य रखा है. एक चीज और स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि किसानों मे जो यह अफवाह फैलायी जा रही है कि विधेयकों के कानून बन जाने के बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं बढ़ेंगे, यह गलत है. मोदी सरकार ने बराबर ही न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया है. (लेखक भारतीय सूचना के अधिकारी हैं। लेख में व्यक्त विचार उनके निजी हैं) iis.sriksant@gmail.com