कोरोना से इम्म्युनिटी बढे तो कैसे बढे
प्रमोद जोशी : नयी दिल्ली : कोविड-19 के सिलसिले में यह शब्द हाल में ही ज्यादा सुनाई पड़ा है. हाल में ब्रिटिश सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार सर पैट्रिक वैलेंस ने संकेत दिया था कि हमारी रणनीति यह हो सकती है कि देश की 60 फीसदी जनसंख्या को कोरोना वायरस का संक्रमण होने दिया जाए, ताकि एक सीमा तक ‘हर्ड इम्यूनिटी’ विकसित हो जाए. अंग्रेजी के हर्ड शब्द का अर्थ होता है झुंड या समूह. हर्ड इम्यूनिटी का अर्थ है सामूहिक प्रतिरक्षण. जब किसी वायरस या बैक्टीरिया का संक्रमण होता है, तब शरीर के अंदर उससे लड़ने या प्रतिरक्षण की क्षमता भी जन्म लेती है. सिद्धांत यह है कि यदि बड़ी संख्या में लोगों के शरीर में प्रतिरक्षण क्षमता पैदा हो जाए, तो बीमारी का प्रसार सम्भव नहीं है, क्योंकि तब समाज में उसके प्रसार की संख्या कम हो जाती है. अनेक बीमारियों से लड़ने की क्षमता समाज में इसी तरह पैदा होती है. इसके पीछे का वैज्ञानिक सिद्धांत यह है कि यदि समाज में बड़ी संख्या में ऐसे लोग होंगे, जिनके शरीर में प्रतिरक्षण क्षमता है, तो वे ऐसे व्यक्तियों तक रोग को जाने ही नहीं देंगे, जो प्रतिरक्षित नहीं हैं. पहले लगता था कि यह जानलेवा बीमारी नहीं है, इसलिए इसका प्रभाव मामूली होगा. बाद में इम्पीरियल कॉलेज, लंदन ने बीमारी के भयानक विस्फोट की सम्भावना को दर्शाया और कहा कि इसपर काबू नहीं पाया गया, तो मुश्किल पैदा हो जाएगी. फिलहाल रोग रोकने का एकमात्र तरीका है कि इसके रोगियों को शेष लोगों से दूर रखा जाए. महामारी विज्ञान से जुड़े विशेषज्ञ इसके लिए ‘बेसिक रिप्रोडक्टिव नम्बर (आरओ)’ की गणना करते हैं. यानी एक व्यक्ति के संक्रमित होने पर कितने व्यक्ति बीमार हो सकते हैं. वैज्ञानिक सिद्धांत है कि खसरे से पीड़ित एक व्यक्ति 12-18 व्यक्तियों तक और इंफ्लूएंजा से पीड़ित व्यक्ति 1.2-4.5 लोगों को संक्रमित कर सकता है. कोविड-19 एकदम अपरिचित वायरस होने के कारण जोखिम नहीं उठाए जा सकते हैं. हमारा शरीर वायरस को विदेशी हमलावर की तरह देखता है और संक्रमण होने के बाद वायरस को ख़त्म करने के लिए साइटोकाइन नाम का केमिकल छोड़ना शुरू करता है. वैज्ञानिकों ने तमाम किस्म के संक्रमणों को रोकने के लिए टीके बनाए हैं. अब उन्होंने कोविड-19 का टीका भी बना लिया है, पर उसका परीक्षण होते-होते समय लगेगा. ‘हर्ड इम्यूनिटी’ सिद्धांत वैक्सीनेशन या टीकाकरण से जुड़ा है. टीकाकरण का उद्देश्य बड़ी संख्या में लोगों के शरीर में प्रतिरक्षण पैदा करना होता है. इसके बाद बाकी लोगों का टीकाकरण न भी हो, तब भी बीमारी नहीं फैलती. पोलियो के टीके के संदर्भ में यही बात कही जाती है. पर कोविड-19 का तो टीका ही पूरी तरह विकसित नहीं हुआ है. (वरिष्ठ पत्रकार के ब्लॉग से साभार)