वित्त मंत्री के कार्यालय के सामने धरने पर बैठे
ऋषिकेश की आईडीपीएल फैक्ट्री में रहने वाले हजारों परिवारों का आशियाना जल्द ही छिनने वाला है. सरकार द्वारा 1 महीने के अंदर सभी कर्मचारियों को आवास खाली करने के नोटिस जारी कर दिए गए हैं जिस पर लोगों में आक्रोश है. आईडीपीएल से सैकड़ों की तादाद में महिलाएं पुरुष और बच्चे इकट्ठे होकर वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के कैंप कार्यालय पहुंचे लेकिन वित्त मंत्री विदेश यात्रा के लिए रवाना हो गए थे. इस पर लोगों में आक्रोश है और उनका कहना है कि पिछले 3 दिनों से लगातार वित्त मंत्री से संपर्क कर रहे हैं. उनके द्वारा आश्वासन दिया गया था लेकिन हम सब को बेसहारा छोड़कर वित्त मंत्री विदेश यात्रा पर चले गए यह सही नहीं है. जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होती, सरकारी कोई भी नुमाइंदा या अधिकारी आकर हम को नहीं बताता कि हम को बेघर और बेसहारा नहीं किया जाएगा. तब तक हम यही धरना स्थल पर बैठे रहेंगे.
ऋषिकेश आईडीपीएल फैक्ट्री का अस्तित्व लगातार खतरे में पढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है. ऋषिकेश के वीरभद्र में 1962 में इंडियन ड्रग्स फार्मासयूटिकल लिमिटेड फैक्ट्री का शिलान्यास किया गया था. 1967 में फैक्ट्री में उत्पादन शुरू हो गया था. शुरुआती दौर में फैक्ट्री में टेटरासाइक्लिन कैप्सूल, एंटीफंगल टेबलेट, जैसी महत्वपूर्ण दवाइयां तैयार करके पूरे देश में बेची जाती थी. कई तरह की सस्ती जीवन रक्षक दवाइयां बनाने वाली यह कंपनी बड़े स्तर पर सस्ती दर पर मिलने वाली दवाइयों का निर्माण करती थी. आईडीपीएल में लगभग 5000 से अधिक कर्मचारी तैनात थे, 1980 तक फैक्ट्री में बेहतर संचालन होता रहा, सन 1992 में फैक्ट्री को बीमारू इकाई घोषित कर फैक्ट्री को बंद करने का निर्णय लिया गया जिसके चलते फैक्ट्री में तैनात कर्मचारियों को जबरदस्ती बीआरएस देकर रिटायर कर दिया गया और लिमिटेड संख्या में ही कर्मचारियों को फैक्ट्री में कार्य करने के लिए रखा गया.
सन 2013-14 मैं कंपनी ने रिकॉर्ड ₹22 करोड़ की दवाओं का उत्पादन किया, जो एक रिकॉर्ड था. इसके लिए आईडीपीएल को डब्ल्यूएचओ जीएमपी सर्टिफिकेट से नवाजा गया था. अब यह फैक्ट्री अपनी अंतिम सांस ले रही है फैक्ट्री का संचालन लगभग 52 वर्ष तक किया गया. उसके बाद इस फैक्ट्री को बंद करने का निर्णय ले लिया गया. फैक्ट्री में जितने भी मकान बने हुए हैं. वह अब जर्जर हालत में हो चुके हैं. बाकी बचे हुए मकानों में जो कर्मचारी रह रहे थे उनको 6 महीने के अंदर मकान खाली करने के लिए कहा गया था लेकिन आईडीपीएल प्रशासन के ढीले रवैए के चलते कर्मचारी कॉलोनियों में तैनात रहे. यहां तक कि आईडीपीएल फैक्ट्री द्वारा कर्मचारियों से क्वार्टरों मैं रहने का किराया लगातार लिया जाता रहा और बिजली-पानी का किराया भी लिया जाता रहा.
अब अचानक सभी कर्मचारियों को नोटिस देकर 1 महीने के भीतर पूरी आईडीपीएल कॉलोनी खाली करने का आदेश दिया गया जिस पर कॉलोनी में रहने वाले हजारों लोग सड़कों पर आ गए. आज आईडीपीएल में रहने वाले महिला पुरुष और बच्चे सभी एकत्र होकर वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के कैंप कार्यालय पहुंचे और जहां धरने पर बैठ गए लोगों का कहना है कि वित्त मंत्री को ज्ञात था कि हम लोग उन से वार्ता करने आ रहे हैं ।लेकिन उन्होंने हमारी अनदेखी कर वह विदेश दौरे पर चले गए ,जब तक कोई भी सरकारी अधिकारी यह प्रशासन का अधिकारी आकर आश्वासन नहीं देता है। कि हम को बेघर नहीं किया जाएगा ,तब तक हम लोग यहीं पर धरने पर बैठे रहेंगे.
वही तहसीलदार अमृता शर्मा का कहना है कि इस संबंध में उनके पास ऐसा कोई भी शासनादेश नहीं आया है. यह वन विभाग की भूमि थी जो आईडीपीएल को लीज पर दी गई थी. उन्होंने कहा कि इसके संबंध में आईडीपीएल और वन विभाग ही वर्तमान स्थिति बता पाएंगे.