अवध भारती संस्थान, हैदरगढ़, बाराबंकी के तत्वावधान में अवधी दिवस (तुलसी जयन्ती) के अवसर पर ललिता आश्रम नैमिषारण्य में तुलसी अवधी सम्मान का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में अवधी सेवियों का सम्मान हुआ तथा विभिन्न सांस्कृतिक अवधी कार्यक्रमों का आयोजन हुआ.
संस्थान के आराध्य शुक्ल के अनुसार नैमिष की पुण्य भूमि पर सम्मानित हो रहे अवधी सेवियों में डॉक्टर रमेश मंगल वाजपेयी को महंत श्री गुरशरण दास स्मृति तुलसी अवधी सम्मान डा. विनय दास ने दिया. देव भूमि उत्तराखण्ड में चिकित्साधिकारी पद पर दीर्घकालिक सेवा देने के उपरान्त सेवानिवृत्त डॉक्टर साहब की अवधी सेवा अतुलनीय है. वो हिंदी सभा, सीतापुर के अध्यक्ष भी रह चुके है. उनकी अवधी काव्य प्रबंध रचना श्री शिवचरित मानस, राजभवन के पुस्तकालय मे शोभित है. अवधी दोहों पर उनकी प्रकाशित कृति गीता शतक है, जबकि महामाया भी उनकी अवधी काव्य रचना है और उनकी एक कृति भगत मनीमाल जल्द प्रकाशित होने वाली है. डॉक्टर साहब की कुछ अवधी रचनाएँ अभी प्रकाशित भले न हुई हो लेकिन अवधी मे उनका बड़ा योगदान है जिनमे सिउ गीता (अवधी काव्य), वचन सत्सई (अवधी दोहा कृति), आजादी दिवानी है, श्री हनुमान चन्द्रिका, रुक्मणि मंगल, काव्य प्रसून, धरती के भगवान,अवधी नौ रत्न,अवधी साहित्य का इतिहास,आस्था के स्वर, ब्राम्हण उवाच,और तीरथ वर नैमिष विख्याता प्रमुख हैं. जनपद मे अवधी सेवियों मे उनकी भूमिका अग्रणी है.
डॉक्टर विनय दास को श्री प्रभाराम तिवारी स्मृति पुरस्कार रमाकान्त तिवारी ने दिया. वे संत होते हुए भी गृहस्थ हैं और गृहस्थ होते हुए भी संत. बाराबंकी के प्रमुख स्थल कोटवा धाम के पहले पाए कमोली धाम के महंत डॉक्टर साहब ने पेशे से शिक्षक रहते हुए अवधी की अतुलनीय सेवा की है. उनकी प्रमुख रचनाएँ समय साक्षी, सही गलत के बीच कलयुग वाया धनुष यज्ञ, समाज, पीड़ा से परिहास, कविता का कलोन, साहिब गोसाई दास, अयोध्या प्रसाद दीक्षित समग्र भाग और शब्द सागर प्रमुख हैं. एक ऐसे साहितीयिक संत का ऋषि मुनियो की धरती पर अभिनंदन किया गया.
रायबरेली के श्री इंद्र बहादुर सिंह "इन्द्रेश " को श्री महाराज देवी स्मृति पुरस्कार ओम प्रकाश जी ने प्रदान किया. उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा प्रतिष्ठित पंडित बंशीधर शुक्ल सम्मान से विभूषित इन्द्रेश जी की अवधी सेवा महनीय है. उन्होंने महात्मा विदुर खंड काव्य भी लिखा है. इसके अतिरिक्त गीत संकलन घटाओं के रंग,अवधी काव्य बसि यहे मड़ाईया है हमार, पीड़ित मन मधुगान गा रहा, कुलटा चरित हास्य भंडारा,और अवधी काव्य संग्रह गजब के अंधेरिया प्रमुख हैं. उन्होंने बुढ़ाउनु चुप्पी साधो, तरंग शतक,और बाल गीत संग्रह कलियों की मुस्कान जैसी सशक्त रचनाएँ साहित्य को दी हैं.
लखीमपुर खीरी के सत्यधर शुक्ल को स्वर्गीय भानु प्रकाश शुक्ल स्मृति पुरस्कार से सार्थक शुक्ल ने सम्मानित किया. जनकवि और अवधी सम्राट स्वनाम धन्य पंडित बंशीधर शुक्ल के पुत्र सत्यधर शुक्ल राजकीय सेवा से सेवानिवृत्त प्रवक्ता हैं. अवधी साहित्य मे उनका अप्रतिम योगदान है.उन्होंने अवधी गद्य और पद्य दोनो मे बड़ा काम किया है. ध्रुव, अर्धान, बसंत का बियाहु, तिर्बेनी, कृष्णा, अगिनी परीक्षा के अलावा अवधी कहानी संग्रह फुलवासा की पंचाइट प्रमुख हैं. उन्होंने अवधी साहित्य मे हास्य और व्यंग्य (शोध निबंध), क्रांति की पुकार,अवधी कविता संग्रह के अलावा बंशीधर शुक्ल रचनावली, डॉक्टर ब्रजेन्द्र अवस्थी की अवधी रचनाएँ मटियारे चित्र भुई के, उठ जाग मुसाफिर भोर भई, राम मड़ाईया और लीदराबाद का सम्पादन भी किया है. करीब आधा सैकड़ा संस्थाओ द्वारा सम्मानित श्री शुक्ल के कार्यो पर कई शोध कार्य भी हो चुके हैं.
अयोध्या के श्री हिमांशु श्रीवास्तव को अवध सीरीज तुलसी सम्मान गोंडा के संजय अवधी ने दिया. अवधी बानी चैनल के माध्यम से अवधी को घर घर तक पहुचाने वाला कम्प्यूटर साइंस का परास्नातक युवा अवधी के उन्नयन के लिए सतत प्रयत्नशील है. इन्हे काफी कम उम्र मे अवधी रत्न, सृजन युवा सम्मान,और रत्नाकर सम्मान मिल चुके है.
श्रावस्ती के श्री मनोज मिश्र कप्तान को श्री रामखेलार पाण्डेय स्मृति पुरस्कार डॉक्टर अर्जुन पाण्डेय ने दिया. महात्मा बुद्ध की धरती श्रावस्ती के मूल निवासी मिश्र जी सम्प्रति रह भले ही नांगलोई दिल्ली मे रहे हों लेकिन अवधी उन्नयन के लिए उनकी सतत साधना अभिनंदनीय है. उन्होंने प्राय सवैया, गीत मुक्तक आदि सभी के लेखन के साथ ही देश के प्रतिष्ठित एवं सम्मानित चैनलों पर कावपाठ किया है. राष्ट्रीयता उनका मूल स्वर है. उनकी अधिकांश रचनायें सामाजिक और आध्यात्मिक पुट लिए होती हैं. सोशल मीडिया पर भी उनकी निरंतर सक्रियता है. श्री मिश्र अखिल भारतीय अवधी समाज -अवधी मिठास संस्था के संस्थापक महासचिव है और दिल्ली मे रहकर पूरे देश मे अवधी अलख जगाने का काम कर रहे हैं.
गोंडा के श्री संजय अवधी को लोक रंग फाउंडेशन पुरस्कार कल्चर दीदी कुसुम वर्मा ने दिया. बहुत कम उम्र मे अवधी की अनन्य सेवा कर इन्होने आकाश भर ऊंचाइयों को स्पर्श किया है. अपने सरनेम में ही श्रीवास्तव हटाकर अवधी शब्द का प्रयोग करने वाले संजय जी का अवधी समर्पण स्तुत्य है. वो देश की प्रतिष्ठित कंपनी टी सीरीज के लिए गीत लेखन का काम करते हैं और उनके लिखे अनेक गीत आज पूरे देश मे लोकप्रिय हैं. अवधी लोक कला संरक्षण के लिए बनाई संस्था अवध सीरीज के वो संस्थापक और निर्माता है. भविष्य मे अवधी समाज को उनसे ढेर सारी आशा है.
सीतापुर की डॉक्टर ज्ञानवती दीक्षित को स्वर्गीय रमेश चंद्र दीक्षित स्मृति पुरस्कार रतीेश दीक्षित ने दिया. स्वर्गीय डॉक्टर मधुप के बाद अगर सीतापुर की माटी से किसी ने अवधी की सबसे अधिक सेवा की है तो वो डॉक्टर ज्ञानवती जी ही हैं. शहर के अति प्राचीन और प्रतिष्ठित कॉलेज की प्राचार्य ज्ञानवती जी ने अनेक अवधी रचनाओं का सृजन किया है. उनका अवधी उपन्यास गोमा तीरे बहुत चर्चित हुआ है जिसे हिंदी संस्थान से जायसी पुरस्कार भी मिला. अमूमन अवधी लेखकों का गद्य साहित्य उतना समृद्ध नही होता लेकिन ज्ञानवती जी अपवाद हैं. उनकी ये रचना अवधी उपन्यासों की अग्रणी पंक्ति मे है. उनकी रचनाओं मे सामाजिक विद्रुपताओ पर प्रहार के साथ ही जनवादी और नारीवादी पक्ष स्पष्ट रूप से मुखरित होता है. उनका कथा संग्रह भीगी शिलाये के अलावा अहिल्या और संधान प्रबंध काव्य काफी महत्वपूर्ण है. साथ ही उनके कई अवधी समीक्षा ग्रंथ भी अवधी साहित्य की निधि हैं.
सुल्तानपुर के डॉक्टर आद्या प्रसाद सिंह प्रदीप को श्री राम सुमिरन मिश्र स्मृति पुरस्कार डॉक्टर राम बहादुर मिसिर ने प्रदान किया. करीब पांच दशकों की अहर्निश अवधी साधना प्रदीप जी को साहित्य जगत मे बड़ी ऊंचाइया प्रदान करती है. लेखन मे जनवादी पक्ष को उन्होंने बड़ी कुशलता से उकेरने का काम किया है. वो प्रगतिवादी लेखन के सबसे बड़े हस्ताक्षर हैं. उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान से अनेक बार सम्मानित होने के साथ ही आपको लोक भूषण सम्मान, महात्मा बनादास स्मृति सम्मान भी प्राप्त हुआ है. शतधिक पुस्तकों का आपने सृजन किया जो हमारी भाषा और संस्कृति की अमूल्य धरोहर है.
लखनऊ के डॉक्टर अशोक अज्ञानी को राम समुझ वर्मा तुलसी अवधी सम्मान श्री अजय प्रधान ने दिया. राजकीय विद्यालय रायबेरली के प्राचार्य अज्ञानी जी ने अवधी लोकगाथा खुन खुनिया पर शोध कार्य किया है. अवधी संस्था लोकायन के संस्थापक अध्यक्ष अज्ञानी जी अवधी कविता के सशक्त हस्ताक्षर सहित कई रचनाये लिखी हैं.
आंबेडकर नगर के अरुण तिवारी को कृपाशंकर अवस्थी तुलसी अवधी सम्मान श्री विशंभर नाथ अवस्थी ने दिया. अवधी विद्वानों, लोक कलाकारों और लोक गायकों को नियमित मंच प्रदान करने वाले तिवारी जी अवधी सेवा के लिए सतत समर्पित हैं. बोले चिरैय्या पटल के माध्यम से वो लोक कला और संस्कृति के निरंतर प्रयास मे महनीय योगदान दे रहे हैं.
रायबरेली के श्री विनय विक्रम सिंह को श्री बद्री प्रसाद स्मृति पुरस्कार श्री विष्णु कुमार शर्मा ने प्रदान किया. बैसवारी अवधी कवियों के शिरमौर विक्रम जी इस दौर मे सबसे अधिक मुखर और प्रखर अवधी कवि माने जाते है. अवधी कविता मे बिम्ब और प्रतीक का जितना सुंदर संयोजन आपकी रचनाओ मे देखने को मिलता है वैसा अन्यत्र दुर्लभ है. वस्तुत आपको आधुनिक दौर मे अवधी सिरमौर कहा जा सकता है.
दिल्ली से आये डॉक्टर राकेश पाण्डेय को तुलसी अवधी सम्मान २०२१ दिया गया. अवधी को अपने जीवन मे पूर्ण रूपेण उतारने वाले अवधी डायसपोरा पर गंभीरतापूर्वक शोधरत प्रवासी संसार पत्रिका के सम्पादक पाण्डेय जी अवधी रचनाकारों और सेवियों के लिए बड़ा संबल हैं. स्वनाम धन्य डॉक्टर जगदीश पीयूष के सुपुत्र पाण्डेय जी को गांधीवादी विचरधारा विरासत मे मिली है. वे गांधी दर्शन, चिंतन और भारतीय लोक साहित्य के गंभीर अध्येता हैं. अवधी लोक नाटय पर उनका महत्वपूर्ण शोध कार्य तो है ही अवधी को विश्व के कोने कोने तक पहुचाने के लिए वो अब तक ४० से भी अधिक देशों की यात्राएं कर चुके हैं और बहुधा अवधी मे ही वार्तालाप करते हैं. उन्होंने कई बार विश्व हिंदी सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया है.
लखनऊ की नूतन वशिष्ठ को तुलसी अवधी सम्मान -२०२१ से सम्मानित किया गया. पत्रकारिता से अपना करियर आरम्भ करने वालीं नूतन वशिष्ठ ने आकाशवाणी में सेवा की.आकाशवाणी का एक दौर का घर घर मे पहुंचने वाला सबसे चर्चित और लोकप्रिय स्वर घर आँगन कार्यक्रम की नूतन दीदी हमारी लोक संस्कृति की प्रतीक हैं. घर आँगन सुनने वाली सब बहिनीन का राम राम, वो आवाज़ आज भी लोगो को उनकी याद दिलाती है. उनको सम्मानित करके नैमिष की धरती गर्व का अनुभव कर रही है. सम्प्रति वो अपनी संस्था कथा रंग के माध्यम से लोक भाषाओं, बोलियों में कहानियों के मंच से वाचन के अभियान में जुटीं हैं ताकि आने वाली पीढियां अपनी बोली भाषा से परिचित रहे.
गोंडा के श्री शिव पूजन शुक्ल को भी तुलसी अवधी सम्मान से सम्मानित किया गया. अध्यात्मिकता को जीने वाले शुक्ल जी अवधी भजनो का सबसे बड़ा स्वर हैं. हाल ही मे रामकथा पर आधारित अवधी लोक भजनों पर उनकी पुस्तक चरनवा के धूर आई है. इसके अलावा बस आपके लिए मुक्तक संग्रह, मांगे थरिया मा अंजोरिया अवधी भजन संग्रह, धरती महरानी लोक गीत संग्रह के साथ ही मोहनी मुरलिया अवधी भजन एल्बम भी आ चुके हैं. अंतरर्राष्ट्रीय रामायण मेला सहित विश्व के कई देशों में उनके अवधी भजनों की प्रस्तुति हो चुकी है. लोक संस्कृति के लिए आपका समर्पण और प्रयास अभिनंदनीय है.
अवध भारती संस्थान, हैदरगढ़ द्वारा उक्त तुलसी अवधी सम्मान के साथ ही श्री बूढ़े बाबा आश्रम डेंगरा, अवधी की समग्र सेवा के लिए अवधी के शलाका पुरुष आदरणीय डॉक्टर राम बहादुर मिसिर, अवधी के लिए सतत समर्पित डॉक्टर अर्जुन पाण्डेय, लोक संस्कृति को जीने वाली कल्चर दीदी कुसुम वर्मा और लखनऊ विश्विद्यालय मे कार्यरत अवधी सेवी विशंभर नाथ अवस्थी के साथ ही जनपद के कई अवधी सेवियों को सम्मानित कर गर्व का अनुभव करेगी.
'आत्माराम' कहानी का अवधी में वाचन
इस अवसर पर कथारंग, लखनऊ द्वारा तुलसी अवधी सम्मान में प्रेमचन्द द्वारा लिखित आत्माराम कहानी का वाचन अवधी भाषा में कथारंग संस्थापिका नूतन वशिष्ठ, सत्यप्रकाश मिश्रा, अंशु गुप्ता ने किया. कहानी का अवधी रूपांतरण आकाशवाणी के उद्घोषक सत्यानन्द वर्मा ने किया. इस अवसर पर कथारंग संस्था की सचिव अनुपमा शरद और सदस्य पूजा विमल, सत्यप्रकाश मिश्रा, अंशु गुप्ता को भी स्म्मृति चिह्न प्रदान किये गए. लोक गायिका कल्चर दीदी कुसुम वर्मा ने अवधी में लोक गीत प्रस्तुत करके लोगों का मन मोह लिया.