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पुमोरी चोटी पर विजय पताका : बलजीत प्रथम भारतीय महिला

हिमाचल प्रदेश की होनहार बेटी बलजीत कौर ने माउंट एवरेस्ट पर्वत श्रंखला की सबसे कठिन पुमोरी चोटी पर विजय पताका फहराई. इस चोटी पर पताका फहराकर बलजीत ने प्रथम भारतीय महिला होने का गौरव प्राप्त किया है. इनके कुछ समय बाद ही राजस्थान की युवा पर्वतारोही गुणबाला भी इस शिखर पर पहुंची. इस प्रकार इन्हें भी इस चोटी पर विजय प्राप्त करने का श्रेय प्राप्त हुआ है. यह चोटी 7161 मीटर ऊंची है.

बलजीत प्रथम भारतीय महिला
बलजीत प्रथम भारतीय महिला

हिमाचल प्रदेश की होनहार बेटी बलजीत कौर ने माउंट एवरेस्ट पर्वत श्रंखला की सबसे कठिन पुमोरी चोटी पर विजय पताका फहराई. इस चोटी पर पताका फहराकर बलजीत ने प्रथम भारतीय महिला होने का गौरव प्राप्त किया है. इनके कुछ समय बाद ही राजस्थान की युवा पर्वतारोही गुणबाला भी इस शिखर पर पहुंची. इस प्रकार इन्हें भी इस चोटी पर विजय प्राप्त करने का श्रेय प्राप्त हुआ है. यह चोटी 7161 मीटर ऊंची है.

बातचीत के दौरान बलजीत ने बताया कि उनके पिता रिटायर्ड फौजी हैं और माँ ग्रहणी हैं. उनका कहना है कि माता पिता के आशीर्वाद की वज़ह से ही उन्हें सफ़लता मिलीं हैं. बलजीत का जन्म गाँव पंजडोल, जिला सोलन, हिमाचल में पहाड़ों की गोद में हुआ था. इन्होंने स्नातक की शिक्षा सोलन महाविद्यालय से प्राप्त की. उनके महाविद्यालय के एक शिक्षक प्रोफेसर राजन तंवर ने बताया कि यह बच्ची खेल कूद मे विशेष रुचि लेती थी और पढ़ाई पर भी ध्यान देती थी. उन्हें उम्मीद थी कि आगे चलकर यह बेटी प्रदेश और माँ बाप का नाम रोशन करेगी. इनके एक दूसरे शिक्षक श्री जगदीश कश्यप का कहना है कि यह लड़की पढ़ाई और खेलकूद मे अव्वल थी. उन्हें आभास था कि एक दिन यह लड़की बहुत आगे जाएगी. कश्यप जी ने बताया कि बलजीत का खानदान शुरू से ही खेलों में विशेष रुचि रखता रहा है. उन्होंने कहा कि बलजीत के दादाजी श्री फतेह सिंह भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पहलवान थे. बलजीत के हौसले बुलंदी पर हैं. उनका कहना है कि वह माउंट एवरेस्ट पर भी विजय पताका फहराकर प्रदेश व देश का नाम रोशन करेंगी.

बलजीत का शुरू से ही पहाड़ों के प्रति गहरा लगाव रहा है. तेनजिन नोर्गे, एडमंड हिलेरी और बछेंद्री पाल जैसे पर्वतारोहियों से उन्हें काफी प्रेरणा मिली. शुरू से ही इनका सपना रहा है कि वह जीवन में कुछ अलग करेगी. ट्रेकिंग के अपने हुनर और पहाड़ी इलाक़ों की गहन जानकारी का उपयोग करते हुए ही बलजीत इस मुकाम पर पहुंची हैं.

हिमाचल की महिलाओं की प्रतिक्रियाएं
कृति और मीनाक्षी जो पेशे से दिल्ली में पत्रकार है का कहना है कि बलजीत के अदम्य साहस व कठिन परिश्रम से वह दोनों काफी प्रभावित हैं. जिस ऊंचाई को बलजीत ने छुआ है उससे हम सबको प्रेरणा मिलती है. एक अन्य महिला डॉ आस्था जो हिमाचल से ताल्लुक रखती है और पेशे से चिकित्सक हैं का कहना है कि सभी महिलाओं को बलजीत की तरह साहसी होना चाहिए और कठिनाईयों का सामना करते हुए आगे बढ़ना चाहिए.

हिमाचल सरकार का खेलों के प्रति कम रुझान
हिमाचल के पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा में खिलाडियों को जबरदस्त प्रोत्साहन दिया जाता है और पदक जीतने पर उन्हें डीएसपी या अन्य पद दिया जाता है लेकिन दुःख की बात है कि हिमाचल में कॉंग्रेस का शासन रहा हो या बीजेपी का दोनों का रुझान खेलों के प्रति नहीं रहा है. इसका ताजातरीन उदाहरण बलजीत है जिन्हें सरकार की तरफ से कोई प्रोत्साहन नहीं मिला है. इनकी थोड़ी बहुत मदद कुछ लोगों और सोलन के व्यापरियों ने ही की है.

इनके अतिरिक्त सोलन का ही एक होनहार बालक पंकज पुत्र श्री के. आर. शर्मा था जो अंतर्राष्ट्रीय खेलों में भाग लेकर - पैरा- ऑलम्पिक- से रजत और कांस्य पदक जीत कर सोलन आया था. सरकार से उसकी नौकरी के लिए बार बार निवेदन किया गया लेकिन किसी ने नहीं सुनी क्योंकि यह युवा साधारण परिवार से था. दुर्भाग्यवश पंकज तो हमारे बीच में अब नहीं है लेकिन उसके माँ बाप अब भी पश्चात्ताप कर रहे हैं कि यदि उनका बेटा पंजाब या हरियाणा में होता तो उसको अच्छा पद मिलता. पंजाब और हरियाणा की तर्ज पर ही हिमाचल को अपनी खेल नीति को दुरस्त करना होगा ताकि पदक विजेता और नामचीन पर्वतारोहियों को अधिकारी वर्ग की पोस्ट पुलिस या अन्य विभागों में दी जाये.


Published: 18-06-2021

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