Media4Citizen Logo
खबर आज भी, कल भी - आपका अपना न्यूज़ पोर्टल
www.media4citizen.com

त्रुदो की कारस्तानी फिस हुई : भारत का प्रतिकार कारगर रहा

भारत का प्रतिकार कारगर रहा
भारत का प्रतिकार कारगर रहा
त्रुदो पर विपदा आसन्न है। पतन दिख रहा है। भारत से यारी संजोये अथवा अपनी अल्पमतवाली सरकार बचायें ? कनाडा के इस तेइसवें प्रधानमंत्री जस्टिस जेम्स पाएरे त्रुदो के समक्ष तीसरा विकल्प नही है। संसद के 338 सदस्यों में उनकी लिबरल पार्टी के 158 सांसद हैं। समर्थक सिखों की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के 25 हैं। कनाडियन सिख खालिस्तान के हमदर्द हैं। तो यही है भारत-कनाडा झंझट का सार। सिखों की पार्टी की भूमिका वैसी ही है जो तमिलनाडु की द्रविड़ पार्टियों की थी। अप्रैल 1999 में जयललिता ने अपनी अन्ना-द्रमुक पार्टी का समर्थन खींच लिया था। अटल बिहारी वाजपेई की सरकार अल्पमत में आ गई थी।
 
ठीक वही दुर्दशा सरदार मनमोहन सिंह की संप्रग सरकार के द्रमुक नेता एमके करुणानिधि ने कर दी थी 19 मार्च 2013 को। तब श्रीलंका के तमिल विद्रोहियों (लिट्टे के प्रभाकरन) के दोनों तमिल दल हमजोली रहे। न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी उसी तमिल दलों की भूमिका में है। अगले वर्ष भारत की भांति कनाडा में भी संसदीय निर्वाचन होना है। तब श्रीलंका में तमिल वामियों (लिबरेशन टाइगर्स है तमिल ईलम : लिट्टे) की चुनौती थी दिल्ली पर। ठीक वैसी ही सिखों की ओटावा पर है।
     
भारत बनाम कनाडा विवाद पर बेहतरीन विश्लेषण आया है बौद्ध श्रीलंका के मुस्लिम विदेश मंत्री मियां मोहम्मद अली साबरी साहब का। खालिस्तानी टाइगर फोर्स के अगुवा, आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की मौत पर त्रुदो ने भारत सरकार को दोषी करार दिया है। इस पर श्रीलंकाई राजनेता ने करारा जवाब दिया है। मोहम्मद अली साबरी ने कहा : “कनाडा ने इससे पहले श्रीलंका के भीतर नरसंहार का ऐसा बेबुनियाद आरोप लगाया था।” उधर सोनिया-कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा : “कांग्रेस का हमेशा से मानना रहा है कि आतंकवाद के खिलाफ हमारे देश की लड़ाई में किसी भी तरह का कोई समझौता नहीं होना चाहिए। देश के हितों और चिंताओं को सर्वोपरि रखा जाना चाहिए।”
     
त्रुदो ने बात का बतंगड़ बनाया जब वे बोले : “खालिस्तानी समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारत सरकार का हाथ है। कनाडा की सुरक्षा एजेंसियां इस बात की जांच कर रही हैं।” वहीं कनाडा ने भारतीय राजनयिक को निष्कासित भी कर दिया। निज्जर का हमराही जसपाल सिंह अटवाल जो फगवाड़ा (पंजाब) का वासी था। उसने खालिस्तान आंदोलन के प्रबल विरोधी उज्जल सिंह दोसांझ को मारा था। अटवाल को त्रुदो ने दिल्ली में अपनी दावत में आमंत्रित किया था। मोदी सरकार ने आपत्ति दर्ज कराई थी। 
     
राष्ट्रमंडल के दो मित्र-सदस्यों भारत तथा कनाडा के बीच दुश्मनी सर्जानेवाला सरदार हरदीप सिंह निज्जर था कौन ? उसकी हत्या सर्रे (कनाडा-अमेरिका सीमावर्ती शहर) के नानक गुरुद्वारे के निकट 18 जून 2023 को कर दी गई थी। अब कनाडा सरकार ने भारतीय गुप्तचर एजेंसी पर आरोप लगाया है। हालांकि अबतक सबूत नहीं दे पाए। भारतीय पुलिस इस्राइल की गुप्तचर संस्था मोसाद के स्तर की तरह सक्षम तो नहीं है। मोसाद की शोहरत है कि वह अरब देशों में घुसकर यहूदी-विरोधियों का काम तमाम कर डालती है।
 
इस आतंकी निज्जर की भारतीय सुरक्षा स्टाफ द्वारा हत्या पर कनाडा ने केवल राजधानी ओटावा में भारतीय उच्चायुक्त को प्राप्त संदेशों के आधार पर दोष लगाया है। यदि यह सच है तो कनाडा जघन्य वैश्विक अपराध का दोषी है क्योंकि कूटनीतिक संधि की धाराओं के अनुसार विदेशी दूतावासों की जासूसी करना गंभीर गुनाह है। मगर निज्जर के बारे में कनाडा सरकार का अपराधिक दायित्व इससे पता चल जाता है कि वह खालिस्तानी टाइगर फोर्स का सरगना है जो कनाडा की भूमि में पनाह पाए है।
 
वहीं से पंजाब में लूट, हत्या, आतंक फैलता है। उसका सहयोगी रहा सरदार जगतार सिंह तारा जिसने पंजाब के कांग्रेसी मुख्यमंत्री सरदार बेअंत सिंह की हत्या कर दी थी। सूचना है कि इस हरदीप ने अपने ही भाई सरदार रघुवीर सिंह निज्जर को धमका कर गुरुद्वारे पर कब्जा कर लिया था। हरदीप सिंह की पंजाब के जनसंहार (1980 के दशक में) का अपराधी भी माना जाता है।
   
हरदीप सिंह निज्जर जालंधर में एक बढ़ई था। वह 1997 में एक जाली पासपोर्ट के सहारे रवि शर्मा के नाम से टोरंटो शहर में आया था। चार वर्ष फर्जीवाड़ा का मुकदमा चलता रहा था। उसी बीच उसने एक कनाडा युवती से शादी कर ली। नागरिकता पा ली। खालिस्तान अभियान में सक्रिय हो गया। पंजाब पुलिस ने जुलाई 2020 में उसके भारत लौट जाने की याचिका कनाडा में दायर की थी। दस लाख रुपए का इनाम भी उस पर घोषित हुआ था। वह बब्बर खालसा का मुखिया बना जब ट्रूडो 2018 में भारत आए थे तो पंजाब के तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री सरदार अमरिंदर सिंह ने उन्हें इन अपराधियों की सूची दी थी। जिसमें निज्जर का भी नाम था।
     
स्पष्ट है कि कनाडा प्रधानमंत्री जास्टर्न त्रुदो विफल रहे अभी तक प्रमाण देने के बिना आतंकी निज्जर की हत्या में भारत का हाथ रहा। आरोप और प्रमाण अलग नहीं हैं। एक के बिना दूसरा कोरा रह जाता है। फिर इसका क्या जवाब है कनाडा के पास कि दशकों से भारत याचना करता रहा कि खालिस्तानी अलगाववादी कनाडा में शरणार्थी बनकर कार्यरत हैं। अतः उन्हें रोकें।
अचरज की बात यह है कि प्रधानमंत्री त्रुदो की ही उपप्रधानमंत्री श्रीमती क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने सीबीसी टीवी को बताया कि बिना सम्यक तहकीकात के वे निज्जर की हत्या का आरोप भारत पर नहीं लगा सकती।
   
भारत से विवाद के दौरान कनाडा में गत सप्ताह के एक चुनाव सर्वेक्षण में त्रुदो पिछड़ रहे हैं। नेता संसदीय विपक्ष पायरे पोलिवियर की रूढ़िवादी पार्टी काफी आगे है। कनाडा की मतदाता मानते हैं कि नरेंद्र मोदी की सरकार राष्ट्रीय सार्वभौमिकता हित में अलगाववादी खालिस्तानियों से सामना कर रही है। त्रुदो भारत के उपद्रवियों की मदद कर रहे हैं।

 


Published: 27-09-2023

Media4Citizen Logo     www.media4citizen.com
खबर आज भी, कल भी - आपका अपना न्यूज़ पोर्टल