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हरपाल की चौपाल पर : पहुंचे मुर्दे बोले हम जिन्दा हैं

जंतर मंतर पर लगी हरपाल की चौपाल पर कागज में मुर्दा घोषित कर दिए गए व्यक्ति, देश के अन्य राज्यों से जिन्दा होने की फरियाद लेकर शामिल हुए और ऐसा पहली बार हुआ जब धरने में बैठे मुर्दो ने जीवित होने के लिए उपवास किया. अमूमन व्यक्ति जीवित रहने के लिए खाते हैं.

पहुंचे मुर्दे बोले हम जिन्दा हैं
पहुंचे मुर्दे बोले हम जिन्दा हैं

रविवार को जंतर मंतर पर जिंदा मृत घोषित किए गए व्यक्तियों को जीवित घोषित करने के लिए और उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए जंतर मंतर पर लगी हरपाल की चौपाल पर कागज में मुर्दा घोषित कर दिए गए व्यक्ति, देश के अन्य राज्यों से जिन्दा होने की फरियाद लेकर शामिल हुए और ऐसा पहली बार हुआ जब धरने में बैठे मुर्दो ने जीवित होने के लिए उपवास किया. अमूमन व्यक्ति जीवित रहने के लिए खाते हैं.

धरने में देश के प्रधानमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी से जिन्दा मुर्दा संतोष कुमार भी पहुंचे. वर्ष 2000 से लेकर 2010 तक मुंबई के मशहूर कलाकार नाना पाटेकर के रसोइया रहा चुके हैं. उनका कहना है कि इसी दौरान 2003 में उनके गांव के व्यक्तियों ने उसे रेल हादसे में मृत दिखाकर 12 एकड़ जमीन कब्जा कर ली. यह जानकारी उनको 2003 में मिली और वह 2004 से ही अपने को जीवित घोषित करने के लिए और अपनी जमीन वापस पाने के लिए प्रयासरत हैं. इसमें यह बताना भी बहुत महत्वपूर्ण है कि वह 2011 से लेकर 2019 तक लगातार जंतर मंतर पर मैं जिन्दा हूँ की तख्ती लगाकर प्रदर्शन करते रहे हैं लेकिन मीडिया में छाने की बाद भी उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई. उन्हें अभी तक न्याय नहीं मिला है.

ऐसी ही कहानी लिए मध्य प्रदेश के मुलताई जिले से आये विजय की भी है. उनके पिता को भी 2004 वर्ष में मृत घोषित कर दिया गया था. जब उन्होंने इन पर विरोध दर्ज किया तो उनकी माँ के खिलाफ ही एफ आई आर दर्ज करा दी गई. विजय का कहना है कि ऐसा संपत्ति को हड़पने के उदेश्य से किया गया है. इसमें स्थानीय पुलिस और राजस्व विभाग की मिली भगत है. उनके पिता अभी भी मतदान की सूची में शामिल हैं. बावजूद इसके 18 वर्ष बीत गए लेकिन अभी तक उनके पिता जिंदा घोषित नहीं हुए हैं.

इसी प्रकार से उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के ओमप्रकाश भी चौपाल पहुंचे जिसमे उनकी पत्नी की माँ को भी वर्ष 2005 में मृत घोषित किया गया था. इसके लिए वह लगभग 20 वर्षों से मुकदमा लड़ रहे हैं. उनका कहना था कि उच्च न्यायालय के आदेश, जिला न्यायालय जल्द कार्रवाई करने के आदेश देने बावजूद तहसीलदार द्वारा जिला न्यायालय में कागजात जमा नहीं कराने के कारण से निर्णय नहीं हो पा रहा है. वहीँ दिल्ली नजफगढ़ की शांति देवी को भी उसका हक नहीं मिल पा रहा है. यहां पर यह बताना भी आवश्यक है कि उपरोक्त मृत घोषित व्यक्तियों के पास राशन कार्ड, पहचान पत्र, प्रमाण पत्र आदि अधिकतर के पास मौजूद है.

चौपाल के संयोजक हरपाल सिंह राणा ने बताया कि ऐसे दस परिवारों को बुलाया गया था लेकिन उनका टिकट कंफर्म नहीं होने के कारण से वह नहीं पहुंच सके. उनका कहना है कि ऐसी 35 परिवारों की सूची उनके पास है और उनसे संपर्क भी किया गया था लेकिन इनमें से अधिकतर व्यक्ति वृद्ध है जोकि आने में भी असमर्थ हैं. ऐसे व्यक्तियों को कागजों में मृत घोषित करके उनकी संपत्ति को सगे संबंधियों ने हड़प लिया है. तो देश के अधिकतर पिछड़े राज्यों में अनेकों जीवित व्यक्ति मृत घोषित है. इन व्यक्तियों के सामने अनेकों प्रकार की कठिनाई खड़ी हो जाती हैं. उनकी सभी प्रकार की सरकारी सहायता रोक दी जाती है. उनको सभी प्रकार से संपत्ति,बैंक आदि से बेदखल करने के कारण से उनको अनेकों प्रकार से आर्थिक सहित अनेकों कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ता है. आपको बता दें इस सम्बन्ध में हरपाल राणा राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमत्री से लेकर सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर यह उठाते रहे हैं लेकिन केंद्र और सरकारों से मिले जवाबो में मायूसी ही हाथ लगी.


Published: 28-08-2022

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