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बारूद पर बैठी है धारावी

सिटीजन रिपोर्टर : मुंबई : समुद्र किनारे बसे शहर की सबसे बड़ी और घनी बस्ती धारावी अब कोविड 19 का हॉट स्पॉट है. सामाजिक दूरी का पालन न होना धारावी में गंभीर चिंता की वजह है. नालियों और संकरी गलियों में खुलने वाली ईंट की झोंपड़ियों में यहां 10 लाख से ज्

बारूद पर बैठी है धारावी
बारूद पर बैठी है धारावी
सिटीजन रिपोर्टर : मुंबई : समुद्र किनारे बसे शहर की सबसे बड़ी और घनी बस्ती धारावी अब कोविड 19 का हॉट स्पॉट है. सामाजिक दूरी का पालन न होना धारावी में गंभीर चिंता की वजह है. नालियों और संकरी गलियों में खुलने वाली ईंट की झोंपड़ियों में यहां 10 लाख से ज्यादा आबादी बसती है. अभी तक सैकड़ों की संख्या में लोगों की रिपोर्ट यहां पाजिटिव है. कितने और लोग यहां संक्रमित हैं पता नहीं क्योंकि अभी तो सेनिटाइजेशन और लक्षणों की जांच का सिलसिला चल ही रहा है. यहां भारी संख्या में यूपी और बिहार के मजदूर बसे हुए हैं. लॉक डाउन के लगातार बढ़ते जाने के कारण उनमें भी घर वापसी की बेचैनी साफ देखी जा रही है. कोई एक अफवाह उनमें पैनिक बटन दबा देती है. तेलंगाना और केरल से मजदूरों की घर वापसी के लिये ट्रेन चलने के बाद यहां भी अफवाह फैली कि ट्रेन में सफर के लिये कोई फार्म भरवाया जा रहा है. उस फार्म को पाने के लिये धारावी में लम्बी कतारें लग गयीं. लोग पता नहीं किस अदृश्य भय के कारण बीमारी को छुपा रहे हैं. जांच करने वाले डाक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों पर यहां तक कि पुलिस पर हमले कर रहे हैं. यही वजह है कि इस झुग्गी बस्ती की घेराबंदी कर ली गयी है. पुलिस हर दूसरे दिन फ्लैग मार्च कर के लोगों से बाहर नहीं आने की अपील कर रही है. झुग्गियों के उपर ड्रोन भिनभिनाते रहते हैं. धड़ाधड़ एक निजी लेबोरेटरी को लाया गया है. शहर के सबसे प्रतिष्ठित नागरिकों ने 20 अप्रैल को एक वर्चुअल चर्चा में धारावी और सस्ते मकान न बना पाने की शहर की नाकामी पर दुख जाहिर किया है. मुंबई की एक करोड़ बीस लाख की आबादी में से 55 प्रतिशत लोग इन्हीं झुग्गी बस्तियों में रहते हैं. इन झुग्गी बस्तियों में धूप नहीं आती है. धारावी की चालें हमेशा बीमारियों का घर हैं. कुदरती महामारी ने 125 साल पहले भी 1846 में ही इसे अपनी चपेट में ले लिया था. विडम्बना ये है कि धारावी में कोविड 19 की शुरुआत माचिस की डिब्बियों की तरह बनीं झोंपड़ियों से नहीं बल्कि इस बस्ती के पास पाश इलाके के बहुमंजिला हाउसिंग काम्प्लेक्स से हुई. धारावी का फलता फूलता बिजनेस हब चमड़े का उद्योग इनकी अनौपचारिक अर्थव्यवस्था है. आज झुग्गी बस्ती के बिजनेस आधार फुले रोड पर कतार में लगने वालीं दुकानें बंद हैं. उधर स्वास्थ्य कर्मियों की अपनी खतरनाक कहानियां है. यहां जाने वाली डा. पाटिल अपनी सुरक्षा को लेकर डरतीं हैं. यहां की कांग्रेस विधायक और शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ कहतीं हैं-सरकार ने इस बस्ती पर बहुत ध्यान दिया है. महामारी प्रकोप ने सारा टेंशन यहां के सबसे प्रतिष्ठित पड़ोसी उद्धव ठाकरे पर केन्द्रित कर दिया है. धारावी तेजी से मुख्यमंत्री के नेतृत्व की कसौटी के तौर पर उभर रही है. केन्द्र सरकार को भरोसा नहीं है कि बम्बई महानगर निगम इस संकट को संभाल सकता है. उसने 21 अप्रैल को हालात के आकलन के लिये मनोज जोशी की अगुवाई में विशेषज्ञों का एक दल भेजा है. मगर राजनीतिक उदासीनता और स्वार्थों के कारण इन झुग्गियों को बहुमंजिला इमारतों में बदलने की कोशिशों को पलीता तो लग ही गया है. इस बस्ती को विकसित करने के लिये महाराष्ट्र सरकार 1997 से ही निविदाएं निकालतीं आयी है लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिली. बिलकुल हालिया कोशिश के तहत दुबई के टेक्नोलाजीज निगम ने इसके लिये 28000 करोड़ रुपये मे बोली जीती मगर अज्ञात कारणों से अभी तक ठेका नहीं दिया गया. यहां तक कि कंपनी 2229 करोड़ रुपये हर्जाना मांगने की धमकी देने को मजबूर हो गयी. ये बेरहमी याद दिलाती है कि जन स्वास्थ्य किस तरह कभी कभी राजनीति और सत्ता के हाथों बंधक बना लिया जाता है.

Published: 05-03-2020

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