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बच्चों के साथ संबंध सुधार डिप्रेशन से किया जा सकता है बचाव!

<p>न्यूयॉर्क। अगर मांएं अवसाद से पीड़ित रहती हैं, तो उनके अपने बच्चों के साथ व्यवहार भी कड़वाहट भरा होता है। बच्चों के साथ संबंध में सुधार लाकर ही अवसाद से बचा जा सकता है। एक शोध में यह पता चला है। शोध के निष्कर्षों से पता चला है कि बच्चों और उसकी मा

बच्चों के साथ संबंध सुधार डिप्रेशन से किया जा सकता है बचाव!
बच्चों के साथ संबंध सुधार डिप्रेशन से किया जा सकता है बचाव!

न्यूयॉर्क। अगर मांएं अवसाद से पीड़ित रहती हैं, तो उनके अपने बच्चों के साथ व्यवहार भी कड़वाहट भरा होता है। बच्चों के साथ संबंध में सुधार लाकर ही अवसाद से बचा जा सकता है। एक शोध में यह पता चला है। शोध के निष्कर्षों से पता चला है कि बच्चों और उसकी मां के बीच बातचीत में अगर गर्मजोशी की कमी है तो इसका मतलब यह है कि उनका आपस में तालमेल नहीं है।sURVEY

 

अमेरिका के बिंघमटन विश्वविद्यालय के ब्रैंडन गिब ने बताया कि हम यह जानने की कोशिश कर रहे थे कि शरीर क्रिया विज्ञान के स्तर पर क्या आप मां और उनके बच्चों के बीच तालमेल देखते हैं और किस प्रकार यह अवसाद को प्रभावित करता है।शोध में 7 से 11 साल के बच्चों और उनकी मांओं को शामिल किया गया। शोध में शामिल महिलाओं में से 44 का अवसाद का इतिहास रहा था जबकि 50 के साथ ऐसी कोई बात नहीं थी। उनका आपस में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह की बातचीत के दौरान उनके धड़कनों के उतार-चढ़ाव का अध्ययन किया गया।
पहली बातचीत में मां और बच्चों की जोड़ी ने अपने पसंदीदा पर्यटन स्थल पर छुट्टियां बिताने को लेकर बातचीत की और दूसरी बातचीत में उनके बीच तनाव के मामलों को लेकर बातचीत हुई, जिसमें होमवर्क करना, टीवी या कम्प्यूटर का प्रयोग करना, स्कूल की समस्याएं, समय पर तैयार होना जैसे विषय शामिल थे।
निष्कर्षों से पता चला कि वे मांएं जिनका अवसाद का कोई इतिहास नहीं है, उनका अपने बच्चों के साथ नकारात्मक बातचीत के दौरान उनके दिल की धड़कन में काफी उतार-चढ़ाव आ जाता है। शोध प्रमुख मैरी वूडी बताती हैं कि हमने पाया कि जिन मांओं में अवसाद का कोई इतिहास नहीं है, वे उस क्षण में अपने बच्चों की शारीरिक क्रिया के साथ तालमेल बिठा लेती हैं।
वूडी आगे कहती हैं कि जिन महिलाओं का अतीत अवसाद से घिरा रहा था, हमने उनके साथ बिल्कुल विपरीत स्थिति देखी। उनका आपस में बिल्कुल तालमेल नहीं था। जब एक बातचीत में एक व्यक्ति अधिक शामिल होता था तो दूसरा दूर चला जाता था। इस तरह उनकी आपस में पटती नहीं थी।
शोधकर्ताओं का कहना है कि खासतौर से जिन महिलाओं की मां के परिवार में अवसाद का माहौल रहा था, उनके साथ अवसाद के अगली पीढ़ी तक पहुंचने का खतरा रहता है।

Published: 05-09-2016

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