भाजपा और यूपी की योगी सरकार मे विधायको की अभिव्यक्ति पर एक तरह से पाबंदी है l विधान मण्डल सत्र के दौरान जिस प्रकार की तस्वीर उभर कर सामने आयी है उसे राजनीतिक क्षेत्र मे अनुशासन कहे या सेंसर l इस विषय मे अधिक गहराई मे जाने की जरुरत नहीं समझता फिर भी इस विषय के घटना क्रम पर निगाहेबानी करना जरुरी हो जाता है l
राजधानी लखनऊ मे विधान मण्डल का बजट सत्र चल रहा था l बुन्देल खंड के सात भाजपा विधायकों ने बुंदेलखंद ko अलग राज्य बनाने के बावत एक बैठक की हालांकि यूपी को विभाजित करके पूर्वांचल, अवध प्रदेश बनाने की मांग काफ़ी समय से मुखर होती रही है l बुंदेलखंड को भी अलग राज्य बनाने की मांग भी इसमें शामिल थी l कभी कभी इन राज्यों के गठन की मांग अत्यधिक मुखर हो जाती, कभी यह मांग माल्यागिरी की तरह एकदम शांति हो जाती l इतने के बावजूद भी अलग राज्यों की मांग पूरी तरह से ख़त्म होती दिखायी नहीं देती है l
बीते दिनों यूपी विधान मण्डल सत्र के दौरान बुन्देल खंड के सातों भाजपा विधायकों ने अलग से एक बैठक की l बैठक मे बुन्देल खंड को यूपी से अलग करके पृथक राज्य बनाने का प्रस्ताव पारित किया गया l साथ ही अगली बैठक के लिए, 24फरवरी की तिथि मुकररर की गई l इस बैठक मे महोबा सदर के राकेश गोस्वामी, चरखारी से विधायक ब्रजभूषण राजपूत उर्फ़ गुड्डू भैया, ललितपुर सदर के राम रतन कुशवाहा, झांसी सदर के रवि शर्मा, गारोठा के जवाहर राजपूत, और माधवगढ़ के विधायक विनोद चतुर्वेदी शामिल थे l
भाजपा विधायको की यह बैठक सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ को नागवार गुजरी l उन्होंने बैठक मे शामिल सभी विधायको को तलब कर लिया l फिर क्या था मुख्यमंत्री के सामने अलग राज्य की मांग करने व रणनीति बनाने वाले सभी विधायक मूक बन चुके थे l अपनी मांग वाली आवाज को बुलंद करने वाले माननीयो के मुखार पर लाचारी साफ तौर पर झलक रही थी l यही है हमारे लोकतंत्र की वास्तविक तस्वीर l
- जेपी गुप्ता