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कांग्रेस की कामयाबी : इंडिया गठबंधन का भविष्य

लोकसभा चुनाव 24 राजनीतिक दलों के लिए अपने वजूद की हिफाजत सबसे बड़ी चुनौती है। भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए और कांग्रेस के साथ बने इंडिया गठबंधन दोनो की साख दांव पर है। भाजपा द्वारा इस बार 400 पार का उद्घोष किया गया है। इसके पीछे क्या रहस्य है, ये तो दावे के साथ नही कहा जा सकता है, लेकिन बीते दो लोकसभा के चुनावी नतीजे बताते है कि भाजपा द्वारा बतायी गयी सीटो के ईर्द-गिर्द ही नतीजो का आंकड़ा रहा है। इस बार फिर भाजपा ने एनडीए के हिस्से में 400 सीटे पाने का दावा किया है।

इंडिया गठबंधन का भविष्य
इंडिया गठबंधन का भविष्य

गर्मी की प्रचंडता के साथ ही सियासी तपन भी बढ़ती जा रही है। पहेली भरी ऐसी लपट का अहसास इस बार संवैधानिक संस्थाओं को भी महसूस हुआ है। चुनावी समर में विपक्ष केन्द्र सरकार पर संविधान बदलने की साजिष से जनता को आगाह कर रही है। लोकतंत्र को खत्म करने की आषंका जतायी जा रही है। दूसरी तरफ पीएम मोदी दावे के साथ कहते है कि कोई संविधान नहीं बदल सकता है। ऐसे में चुनावी माहौल अनिष्चितताओं की गोद में अठखेलियां कर रहा है। सत्ता दल द्वारा 2047 तक विकसित भारत का व्यंजन जनता को परोसा जा रहा है। इस साल हो रहे लोकसभा के चुनाव सामान्य चुनाव न होकर विषेष बन गया है।

लोकसभा की 543 सीटे है। जरूरी बहुमत के आंकड़े के लिए 272 सांसदो की जरूरत होती है। इन आंकड़ो के बीच सियासी दलों द्वारा जिस प्रकार के दावे किए जा रहे है, उन्हे हास्यास्पद कहा जा सकता है। साल 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सहानुभूति उपजी थी। उस सहानुभूति की लहर में कांग्रेस ने 414 सीटे जीती थी। इसके आगे-पीछे कभी भी कोई पार्टी इन आंकड़ो के आस-पास नहीं रही। इंडिया गठजोड़ के प्रमुख घटक दल कांग्रेस का दावा है कि भाजपा 180 से 200 सीटो के बीच सिमट जायेगी।

चुनावी बॉन्ड, आइटी, सीबीआइ और ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियों की दबिश ने विपक्षी दलों को आर्थिक रूप से कमजोर बना दिया है। लोकसभा चुनाव के पहले और ऐलान के बाद करीब 3,500 करोड़ रुपये की आयकर बकाए और जुर्माने की नोटिसों के बाद कांग्रेस को सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगानी पड़ी।

बड़े राज्यों में बिहार (40), पश्चिम बंगाल (42), ओडिशा (21), तेलंगाना (17), आंध्र प्रदेश(25), केरल (20), और तमिलनाडु (39) में सबसे ऊंचाई पर पहुंचने के बाद भी भाजपा 50 सीटों का आंकड़ा पार नही कर पायी थी।

इन राज्यों में पुद्दुचेरी की एक सीट मिलाकर 205 सीटें हो जाती हैं। इस बार इन राज्यों में पीएम मोदी बार-बार रैलियां कर रहे है। मंदिर आ जा रहे है। इसके बावजूद सीटे बढ़ने के बजाय घटने के आसार अधिक लग रहे है। बिहार (17), बंगाल (18), तेलंगाना (4) सीटो को महफूज रख पाना भी भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है। इन राज्यों की सीटें लोकसभा की कुल 543 में से घटा दें, तो 338 सीटें ही बचती हैं। उनमें भी पंजाब (13), हरियाणा (10) और महाराष्ट्र (48), दिल्ली (7) में उसे कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। 2019 में यहां भाजपा क्रमशः 2, 10, 23 और 7 सीटें जीती थी।

हिंदी पट्टी के बड़े राज्यों उत्तर प्रदेश (80), राजस्थान (26), मध्य प्रदेश (29), छत्तीसगढ़ (11) में भी उसे तमाम जोड़-तोड़, मोदी के करिश्मे और कथित लार्भािथयो की बैषाखी का सहारा लेने के बाद भी चुनौती बरकरार है। इस बार पीएम मोदी और गृहमंत्री अमितषाह को भी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। राहत वाली बात यह है कि उत्तर प्रदेश और दिल्ली को छोड़कर बाकी जगह उसका मुकाबला सीधे कांग्रेस से है।

हालांकि 2014 में 44 और 2019 में 53 सीटों पर सिमटी देश की सबसे पुरानी पार्टी अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। इसके बावजूद भी वह सत्तारूढ़ भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। हरियाणा, पंजाब, गोवा और पूर्वोत्तर के राज्यो में भाजपा की पकड़ कांग्रेस से टूटकर भाजपा में आने वाले नेताओं की बदौलत ही है। करीब 200 लोकसभा सीटो पर कांग्रेस और सत्ताधारी दल के बीच सीधा मुकाबला है। चुनाव में कांग्रेस की कामयाबी ही इंडिया गठबंधन की कामयाबी को रेखांकित करती है।

पिछली बार भाजपा ने 303 सीटें जीती थीं, उनमें से 190 सीटो पर कांग्रेस उसकी प्रमुख प्रतिद्वंदी रही थी। कांग्रेस उनमें सिर्फ 15 सीटें ही जीत पायी थी। 175 सीटें भाजपा के खाते में गईं थी। इन सीटों पर वोट शेयर में मोटे तौर पर 20 फीसद अंतर रहा था।

अगर कांग्रेस इन सीधी टक्कर वाली सीटों पर भाजपा को कड़ी चुनौती दे पाती है, तो परिस्थितयां बदल सकती है। उस हालत में भाजपा को 272 के साधारण बहुमत पाने को भी जूझना पड़ सकता है। सीधी टक्कर वाली सीटें ज्यादातर मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, कर्नाटक जैसे राज्यो में है। 2022 के आखिर में हिमाचल प्रदेश और 2023 के शुरू में कर्नाटक में कांग्रेस अच्छी-खासी जीत दर्ज कर चुकी है।उसके मत फीसद में भी इजाफा हुआ है। 2023 के आखिर में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस हारी जरूर पर उसका मत फीसद बढ़ा है।


Published: 03-05-2024

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