एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला
प्रशिक्षण के प्रारंभ में स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए माता सुंदरी कॉलेज की प्राचार्य डॉक्टर हरप्रीत कौर ने कहा कि मानव के क्रियाकलापों में अंतर संबंध और परस्पर संबंध बना रहता है शांति पर विचार करते समय पर्यावरण और मानव संबंधों के अंतर संबंध को ध्यान में रखना आवश्यक है।
जीपीएफ इंडिया के अध्यक्ष डॉक्टर मार्कंडेय राय ने भारतीय संस्कृति के वसुधैव कुटुंबकम सिद्धांत की व्याख्या करते हुए कहा कि भारतीय परंपराओं में सर्वे भवंतु सुखना और शांति पाठ जैसे अनेक उद्धरणों में विश्व शांति की कामना समय हुई है, उन्होंने एकत्व के सिद्धांत का उल्लेख करते हुए कहा कि गुरु नानक देव भी कहा करते थे 'एक नूर से सब जग उपजा'। उन्होंने कहा कि उदार चरित्र वाले ही वसुधैव कुटुंबकम पर काम कर सकते हैं। सेवा, देने का भाव और सभी से प्रेम के मूल्य से ही शांति स्थापना के कार्य को तत्काल प्रारंभ किया जा सकता है। डॉ. राय ने बताया कि भारत में आज 808 मिलियन आबादी युवाओं की है युवकों को शांति दूत की भूमिका में आगे आना चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विशेषज्ञ डॉक्टर प्रभास सिन्हा, निदेशक जीपीएफ इंडिया ने विस्तार से शांति निर्माण प्रक्रिया को अनेक उदाहरण से स्पष्ट करते हुए कहा कि सुशासन, स्वस्थ व्यावसायिक वातावरण, संसाधनों का सामान वितरण, स्वतंत्र सूचना प्रवाह, दूसरों के अधिकारों की स्वीकृति, शांति स्थापना के आधार स्तंभ हैं और शांति के लिए आवश्यक मूल्य की शिक्षा को अपना कर शांति निर्माण के क्षेत्र में शैक्षिक संस्थाएं अपनी प्रभावी भूमिका का निर्वाह कर सकती हैं, उन्होंने शांति के क्षेत्र में विभिन्न रोजगार के अवसरों और संभावनाओं को भी विस्तार से बताया।
वसुधैव कुटुंबकम प्रोजेक्ट के मुख्य अनुसंधानकर्ता प्रोफेसर सुरेंद्र पाठक ने कहा कि व्यक्तिगत और वैश्विक शांति को व्यक्ति, परिवार, समाज, राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय के अंतर संबंधों और सहअस्तित्व के साथ समझ जाना चाहिए, उन्होंने कहा कि प्रकृति में हवा-पानी-मिट्टी, पेड़-पौधे, जीव-जानवर और मानव के उदविकास, सहअस्तित्व और अंतरसंबंध को पर्यावरणीय संतुलन के रूप में शांति संभावनाओं को देखा जाना चाहिए।
पिछली सत्र के बाद, सुश्री अंजलि, परियोजना अधिकारी, ने दूसरा सत्र इंटरफेथ नेतृत्व (Interfaith Leadership) पर संचालित किया। इस सत्र में समुदाय-आधारित शांतिपूर्णता को बल दिया गया और अंतरधर्मी और अंतरसांस्कृतिक स्थलों में संवाद की महत्ता पर जोर दिया गया। सक्रिय सुनने और सांस्कृतिक विनम्रता के उपकरणों को उजागर किया गया, साथ ही "हम बनाम तुम" मानसिकता को पार करने के लिए रणनीतिक चर्चा की गई। प्राचीन, मध्यकालीन, और समकालीन भारत के उदाहरणों का उपयोग करके, उन्होंने भारतीय परंपरा में समन्वयात्मक दृष्टिकोण को महत्व दिया, जिससे समाज के सभी वर्ग शांतिपूर्णता में योगदान कर सकें। मालेरकोटला का मामला सांप्रदायिक सौहार्द्र और संवाद की महत्ता को प्रकट करता है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा और विश्व व्यापी इंटरनेट संजाल के युग में डिजिटल अवेयरनेस और साइबर सिक्योरिटी शांति के लिए अत्यावश्यक है। सुप्रसिद्ध सिक्योरिटी एक्सपर्ट वंदना गुलिया ने बढ़ते साइबर क्राइम पर चिंता व्यक्त करते हुए साइबर सिक्योरिटी के विभिन्न पक्षों पर ध्यान दिलाया और यह भी बताया कि किस प्रकार सोशल मीडिया का उपयोग करके शांति के वातावरण निर्माण में युवा नेतृत्व कर सकते हैं। जीपीएफ इंडिया के डिजिटल पीस प्रोग्राम के बारे में साहिल अली ने अवगत कराते हुए इसमें भागीदारी करने की अपील की।
कार्यक्रम के प्रारंभ में माता सुंदरी कॉलेज की प्राचार्य डॉक्टर हरप्रीत कौर, कार्यक्रम संयोजक डॉ. नीतू शर्मा, सहसंयोजक डॉ. मोइत्रि डे और डॉ. जसप्रताप सिंह को उनके शांति के क्षेत्र में योगदान के लिए साल उड़ा कर जीपीएफ इंडिया के अध्यक्ष डॉक्टर मार्कंडेय राय ने सभी का सम्मान किया। कार्यक्रम संयोजक डॉक्टर नीतू शर्मा ने धन्यवाद प्रस्तुत किया। इस प्रशिक्षण में माता सुंदरी कॉलेज के पीस क्लब के सदस्यों के अतिरिक्त अन्य महाविद्यालयों के विद्यार्थियों ने भी भाग लिया ।