आखिर जिला प्रसासन के नीचे चल रहें एक बहुत बड़ी साजिश पर ध्यान न दिया जाना अपने आप में एक भविष्य के लिए कहीं चुनौती तो नहीं है.....!
सूत्रों से मिली वर्ष २०१३, २०१७ और मार्च २०२० पूर्व में 85 मंदिर से सिमट कर 25 मंदिर थोड़ा हैरान कर देने वाला और कष्टकारी है खजुराहो मंदिर परिसर में ८५ मंदिर हुआ करते थे जहाँ अब मात्र २५ मंदिर ही शेष बचे हैं। परन्तु अब वो २५ भी बचेंगे या नहीं कहना मुश्किल होगा।
फिर एक वामपंथी इतिहास पुनर्लेखन के लिए तैयार हो रहा है और उसका कारण है वहाँ के सोये हुए लोग।जिन मुगलों ने वहां पहुँच कर बहुत सारे मंदिरों को ध्वस्त किया था, आज भी वे खंडित मूर्तियाँ वहां पर तब हुई दरिंदगी की कहानी कह रही हैं। लेकिन आज फिर इस्लामिक जिहादी मंदिर को चारों ओर से घेरने में लग गए हैं और वहां के लोग आँखों पर हाथ और कानों में उंगली डाले बैठे हैं।
खजुराहो मंदिर के आस पास जमीन जिहाद शुरू हो चुका है और जब तक लोग समझेंगे तब तक दिल्ली के शाहीनबाग की तरह बहुत देर हो चुकी होगी। मंदिर परिसर की ओर जाने पर बायीं ओर एक एक बड़ा सा तालाब है और दाईं ओर ८०० मीटर पर एक नव निर्मित मस्जिद है जो पहले नहीं थी पर उस मस्जिद का हरा झंडा और बोर्ड दायीं ओर ना लगा कर बायीं ओर तालाब के पास लगाया गया है जहाँ पर हिन्दुओं के छोटे मंदिर हैं और तालाब के मध्य में एक भगवा झंडा लगा है।
इतना ही नहीं खजुराहो टेम्पल व्यू होटल के अंतिम किनारे से कुछ दूरी पर तालाब के एक सिरे पर एक कमरे जैसा निर्माण उनके द्वारा अधिग्रहित कर लिया गया है और खजुराहो मंदिर के ठीक सामने एक ऊँचा चबूतरा बनाकर उस पर हरे झंडे लगा दिए गए हैं।
उसी रास्ते से थोड़ा आगे बढ़कर जहाँ पर चाय नाश्ते की दुकान है उसी के पास एक प्राचीन मंदिर है जिसे चारों ओर से घेरकर, उससे सटाकर बिरयानी और मटन की दुकान खोल दी गई है और एक कूलर रिपेयर की दुकान है जिस पर 786 का बोर्ड लगा है और इस्लामिक झंडा लगा है।
दुःख इस बात का है कि प्राचीन मंदिर को संरक्षित करने के स्थान पर अधर्मियों द्वारा वहां पर मांस बेंचा जा रहा है और सामने के हिन्दू दुकानदार और प्रशासन सो रहे हैं।मैंने वहां एक स्थानीय व्यक्ति से पूछा कि पहले मैं जब २०१७ में यहॉं आया था तो ये नहीं था तो उसने बताया कि जब से सरकार बदली है
तबसे यहाँ के निर्वाचित विधायक कुं विक्रम सिंह उर्फ़ नाती राजा जो कि बहुत ही सो कॉल्ड सेक्युलर हैं उन्होंने ही करीब ७-८ माह पहले रोहिंग्याओं और इन विधर्मियों को यहाँ बसने की अनुमति दी है।
मैं यह जानकर दंग रह गई कि ये नाती राजा उन्हीं चन्देल वंश के वंशज हैं जिनका मंदिर कभी इन्हीं विधर्मियों ने खंडित किया था परन्तु सत्ता की हवस ने इनके अन्दर के वीर चंदेलों की आत्मा की हत्या कर दी है।वहीं मंदिर जाने पर तालाब के सामने बिस्मिल्लाह शॉप खुल चुकी है।
आप सोते रहो, कल को उसी परिसर को घेरकर वहाँ एक बड़ी सी मस्जिद बन जाएगी और मंदिर तक जाने वाला रास्ता भी बंद हो जायेगा। फिर कोई एक बड़ा सा सुनियोजित दंगा होगा परिसर में तोड़ फोड़ होगी परिसर वीरान होता जायेगा और मस्जिद दिन रात निखरती जाएगी।
फिर नए वामपंथी इतिहासकारों का जन्म होगा मंदिर था भी कि नहीं इस बात पर भी प्रश्न उठने लगेगा और कुछ वर्षों बाद उस मंदिर के निर्माता मुस्लिम होंगे जिन्होंने सहिष्णुता दिखाते हुए हिन्दुओं के लिए मंदिर बनवाया था ऐसा एक नया इतिहास लिखा जायेगा यदि मंदिर बच गया तो...!