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रवीन्द्रालय : म्यूरल को संरक्षित करने की अपील लखनऊ।

पुस्तक मेले के अंतिम दिन (10 मार्च) कला प्रेमियों के लिए "कला और संरक्षण...एक संवाद’’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

 म्यूरल को संरक्षित करने की अपील  लखनऊ।
म्यूरल को संरक्षित करने की अपील लखनऊ।

कार्यक्रम में धर्मेंद्र मिश्रा ( निदेशक, आई सी आई, इंटेक संस्थान, लखनऊ),वरिष्ठ मूर्तिकार पांडेय राजीव नयन, गिरीश पांडेय, वरिष्ठ कलाकार आलोक कुशवाहा, कला इतिहासकार अखिलेश निगम, कला चिंतक नरेश कुमार और इतिहासकार रवि भट्ट सहित बड़ी संख्या में कलाकार, कलाप्रेमी, कला छात्र और शोधार्थी उपस्थित रहे। इसका मुख्य उद्देश्य सुब्रमण्यम द्वारा रवींद्रालय के मुख्य दीवार पर लगे भित्तिचित्र के उपेक्षित संरक्षण की गंभीरता पर कलाकारों, कलाप्रेमियों व सरकार का ध्यान केंद्रित करना था। 

इस अवसर पर कलाकार भूपेंद्र अस्थाना ने कहा कि जैसा कि कला जगत इस वर्ष 2024 में देश के प्रख्यात कलाकार के जी सुब्रमण्यन की जन्मशती मना रहा है, के जी सुब्रमण्यन एक उत्कृष्ट शिक्षक, उल्लेखनीय कलाकार और भारतीय आधुनिक कला के एक अग्रणी दूरदर्शी रहे हैं। उनका प्रभाव हमेशा प्रेरणादायक बना रहता है।

उन्होंने कहा कि यदि हम अपनी कला और कलाकारों के प्रति जागरूक नहीं होंगे तो किसी भी कला संस्कृति का विकास संभव नहीं।

इसके लिए के जी सुब्रमण्यम की ही नहीं, लखनऊ में अन्य कलाकारों के कलाकृतियों को भी इसी प्रकार संरक्षण और दस्तावेजों में दर्ज कराना होगा।

कार्यक्रम में कला मर्मज्ञ गिरीश पांडेय ने म्यूरल जैसी धरोहर की क्षीण दशा पर चिंता प्रकट करते हुए इस बात पर बल दिया कि ऐतिहासिक धरोहरों के साथ म्यूरल जैसी कला वस्तुओं को भी संरक्षित करने कि आवश्यकता है ।

वरिष्ठ कलाकार आलोक कुशवाहा ने कला को जन सामान्य तक पहुचाने का कार्य हो, इस बात पर जोर दिया।

इंटेक के निदेशक धर्मेंद्र मिश्रा ने कहा कि के जी सुब्रमण्यम के म्यूरल संरक्षण के लिए 2012 में एक रिपोर्ट तैयार की गई थी लेकिन तकनीकी कारणों से अभी तक वह क्रियान्वित नहीं हो सकी । हमारी संस्था इस विश्वस्तरीय म्यूरल का उपचार करने में सक्षम है, जरूरत इच्छाशक्ति की है।

उन्होंने बताया कि इंटेक द्वारा उत्तर प्रदेश भित्तिचित्रों के सर्वे में पाया गया कि यह भित्तिचित्र एक विशेष कला मूल्यों व सिरेमिक विधा का अनोखा नमूना है ।

इतिहासकार रवि भट्ट ने कहा कि कलाकार के हस्ताक्षर कलाकृति दुर्दशा पर बहुत दुःख होता है।

पुस्तक मेले के अंतिम दिन संयोजक ने आए हुए समस्त वक्ताओं और उपस्थित कलाकारों का आभार एवं धन्यवाद व्यक्त करते हुए कहा कि पुस्तक मेला हमेशा कला व कलाकारों के लिए समर्पित है हम सदैव कला व कलाकारों के प्रोत्साहन के लिए हर संभव प्रयास करते रहेगें।


Published: 10-03-2024

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