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36 वा अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव : आध्यात्मिक सत्र

परमार्थ निकेतन में 36 वें अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के तीसरे दिन ’’वैश्विक शान्ति व स्थिरता के लिये जीवन योग’’ विषय पर विशेष आध्यात्मिक सत्र में स्वामी चिदानन्द सरस्वती , गौरांग दास , साध्वी भगवती सरस्वती और माँ हंसा जयदेव ने योगियों को योग के माध्यम से वैश्विक शान्ति व पूरे ब्रह्मण्ड में किस प्रकार स्थिरता लायी जा सकती इस पर संदेश दिया।

आध्यात्मिक सत्र
आध्यात्मिक सत्र

अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का आयोजन परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश द्वारा अतुल्य भारत, पर्यटन मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय और आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से किया जा रहा है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि ऋग्वेद में उल्लेख किया गया है कि ’’यस्मादृते न सिध्यति यज्ञोविपश्चितश्न य धीनां योगमिन्वति। अर्थात हमारा कोई भी कर्म योग के बिना सिद्ध नहीं होता। आज से लगभग 5000 वर्ष पूर्व ’भगवद्गीता’ में कहा गया है कि योग, मन को समत्व की स्थिति ‘समत्वम् योगमुच्यते, योग कर्मसु कौशलम्’ ’योगस्थः करू कर्माणि’ में पहुंचाता है।

प्राचीन काल से ही भारत, शान्ति का अग्रदूत रहा है और उसके पीछे कही न कही योग की शक्ति रही है। भारत ने पूरे विश्व को मानवता और शान्ति का संदेश दिया है।

हमारी धरोहर और विरासत के रूप में हमारे पास हमारा गौरवमयी इतिहास, साहित्य, धर्म, अध्यात्म, संस्कृति, कला और दर्शन जैसी अमूल्य धरोहर है। योग, केवल शरीर की फिटनेस के लिये नहीं है बल्कि इसे सही प्रक्रिया के साथ किया जाये तो यह शरीर और मन का ब्रह्मांड के साथ सामंजस्य स्थापित करता है।

योग, शब्द में वह शक्ति है जो पूरे विश्व को एक सूत्र में बांध सकती है तथा योग, धरती पर विश्व बन्धुत्व को स्थापित करने की सामथ्र्य रखता है। आज पूरे विश्व को और हमारी धरती को एक ऐसे योग की जरूरत है जो चारों ओर शान्ति व स्थिरता की स्थापना कर सके।

आध्यात्मिक गुरू गौरांग दास ने कहा कि योग का सिद्धान्त ही हमारी पहचान है। भगवत गीता में ‘‘ईश्वर, जीव, काल, प्रकृति और कर्म’’ के विषय में अद्भुत व्याख्या की गयी है। हमें जीवन में इस ओर ध्यान देने की जरूरत है कि हम कितने प्रसन्न है यह नहीं कि हम कितने सफल हुये हंै। वास्तव में जीवन में प्रसन्नता ही जीवन की सफलता है।

उन्होंने कहा कि गीता और हमारे शास्त्रों के अनुसार पैसा हमारी वास्तविक दौलत नहीं है स्वास्थ्य; परिवार और आपसी सद्भाव हमारी वास्तविक दौलत है। उन्होंने कहा कि जिस हवा में हम सांस लेते हैं, जिस स्थान पर हम रहते हैं, जो भोजन हम अपने निर्वाह के लिए उगाते हैं और जो अवसर जीवन हमारे लिए संभव बनाता है, वे ईश्वर की अभिव्यक्ति हैं।

अपने भौतिक शरीर में अंतर्निहित अपनी आध्यात्मिक प्रकृति को समझकर, हम यह महसूस कर सकते हैं कि हम इस दुनिया में केवल उपभोग करने, जीने और मरने के लिए नहीं है बल्कि एक उच्च उद्देश्य की तलाश के लिए हैं।

साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि वेद में उल्लेख किया गया है कि ’’जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि’’। उन्होंने योगियों को शाकाहारी जीवन शैली अपनाने का संदेश देते हुये कहा कि शाकाहारी जीवन शैली के माध्यम से ही अहिंसा को जिया जा सकता है। जैसा कि पूज्य स्वामीजी ने कहा, वैश्विक स्तर पर भोजन, जल और जमीन की कमी हो रही है, जो वैश्विक चिंतन का विषय है।

हमें अपनी चेतना और चिंतन को इस ओर बढ़ाना होगा। हमें अहिंसा, अपरिग्रह, सत्य के सिद्धांतों की अपने जीवन में शुरुआत करनी होगी क्योंकि इसी माध्यम से हम वैश्विक स्तर पर शांति और स्थिरता ला सकते है और जलवायु परिवर्तन और मानवाधिकारों के हनन को रोक सकते हैं।

योग गुरू माँ हंसा जी ने कहा कि योगसूत्र बताता है कि अपने जीवन को, विचारों को, और मस्तिष्क को कैसे संतुलित करे। “योग केवल एक शारीरिक अभ्यास नहीं है, यह जीवन जीने की एक शैली है। योग संतुलन और स्थिरता का एक समग्र मार्ग है। योग के अभ्यास के माध्यम से, हम आंतरिक शांति, सद्भाव और संतुलन विकसित कर सकते हैं।

जो एक टिकाऊ और शांतिपूर्ण दुनिया के निर्माण के लिए आवश्यक भी है। उन्होंने कहा कि जब हम अपने भीतर शांति का अनुभव करते हैं, तो हम स्वाभाविक रूप से उस शांति को बाहर की ओर प्रसारित करते हैं, जिससे एक तरंग पैदा होती है जो हमारे आस-पास के लोगों के जीवन को भी प्रभावित करती है और फिर वह पूरे ग्रह तक फैल जाती है। जब हम इन सिद्धांतों के अनुरूप रहते हैं, तो हम स्वाभाविक रूप से पृथ्वी के संरक्षक बन जाते हैं और पूरी चेतना से धरती की देखभाल और पोषण कर सकते हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित रिकॉर्डिंग गायक कलाकार एमसी योगी ने कहा कि “पूज्य स्वामीजी ने कल रात जो कहा था, कि हम सभी को डैंसी-डैंसी होना चाहिए। अगर हम डैंसी-डैंसी हैं, अर्थात हर परिस्थितियो में मस्त रह सकते हैं और हमारी दुनिया बदल जाएगी।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध योग शिक्षक और रेडियंट बॉडी योगा की संस्थापक किआ मिलर ने कहा, “मन, शरीर और आत्मा के एकीकरण की प्रक्रिया इस समय पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। अन्यथा, हम खुद को बाहरी ताकतों के हाथों खो देते हैं। इस समय हमें जो करना चाहिये वह है योग। योग का अभ्यास हमें व्यक्तिगत संप्रभुता खोजने और उस ओर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम बनाता है

अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के तीसरा दिन की शुरूआत ब्रह्ममुहूर्त 4ः30 बजे कुंडलिनी साधना हुई। तत्पश्चात आयुर्वेद, चक्र ध्यान, वैदिक ज्ञान की कक्षाओं के बाद सभी ने परमार्थ निकेतन के दिव्य वातावरण में प्रातःकाल विश्व शान्ति हवन में सहभाग किया। सभी ने ज्ञानवर्धक विज़डम टॉक आध्यात्मिक सत्र में सहभाग किया। इस विज़डम टाॅक में ’’विश्व शांति और स्थिरता के लिए जीवन योग’ पर गहन विषय पर चर्चा की गई।

इस उल्लेखनीय चर्चा ने वैश्विक स्तर पर एकता, स्वास्थ्य और आंतरिक शांति को बढ़ावा देने के लिए सभी की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। प्रसिद्ध लेखिका और योग आचार्य इरा त्रिवेदी ने सूर्य को नमस्कार का अभ्यास कराया। विश्व प्रसिद्ध योग शिक्षिका किआ मिलर, जो मूल रूप से इंग्लैंड की हैं और अब लॉस एंजिल्स में रहती हैं, ने कुंडलिनी शक्ति से जोड़ने का अभ्यास कराया। कीर्तन गायक गुरनिमित सिंह ने कीर्तन के माध्यम से चक्रों को जागृत करने का अभ्यास कराया।

आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केंद्र आयुशक्ति की सह-संस्थापक डॉ. स्मिता नारम ने मन, शरीर और ऊर्जा को नवीनीकृत करने के लिए शरीर को डिटॉक्स करने के शक्तिशाली तरीकों की जानकारी प्रदान की। वैद्य डॉ. रामकुमार ने आयुर्वेद के माध्यम से जीवन में आध्यात्मिक नींव कैसे रखी जा सकती है इस विषय पर जानकारी प्रदान की।

रिकवरी 2.0 के संस्थापक टॉमी रोज़न ने नर्वस सिस्टम ट्यूनमेंट पर आसन का अभ्यास कराया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध योग शिक्षक सीन कॉर्न ने मिस्टिक्स ऑन द मैट- मैजिक, कीमिया और रिचुअल विषय पर एक योग की कक्षा का नेतृत्व किया।


Published: 10-03-2024

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