आज मंगलवार २७ फरवरी को सत्पुरुष बाबा फुलसन्दे वालों ने कहा कि-- कि थोड़ी देर के लिए भी खाली मत बैठो खाली आदमी के मन में अंधेरा होता है उसका मन एक पशु की तरह होता है जो जगत बन में उसे ले जा कर लहूलुहान करता है। तुम अपनी आत्मा में प्रकाश को इकट्ठा करो अनंत प्रकाश की साधना करो।
हे परमेश्वर जब मैं सुख दुख के परिधान पहने जगत में आता तुम्हारे देवता मेरे संग संग आते, हे परमेश्वर जीवन के ऊबड़ खाबड़ रास्तों पर भी तुम्हारी स्तुति के गीत मेरे होठों पर रहते। उन्होंने कहा कि हर वक्त दिल में दुनियां से चलने की रख तैयारी, तेरे द्वार पर परमेश्वर ना जाने कब भेज दे सवारी। कैसे कुदरत का पता पावे वो इंसान जिसके दिल में रात दिन साया करे शैतान। सच्चे गुरु ने ईश्वरीय ज्ञान का जो दीवा तुम्हें थमाया है उसे बुझा मत देना, तुम्हारे संग संग अनगिनत आत्माएं इस प्रकाश में परमेश्वर के महल तक जावेगीं।
संसार में आने के बाद जीव इस संसार में अपने मकसद को भूल गया है किंतु सत्पुरुष नहीं भूलते, वे संसार में खोई हुई आत्माओं को चुगते फिरते हैं, उन फूलों की धूल झाड़ के परमेश्वर की अभ्यर्थना में अर्पित कर देते हैं, अंत में उन्होंने कहा कि अपने राष्ट्र पर सदा न्योछावर होने के लिए और उसकी सेवा के लिए सदा तैयार रहें। मेरे राष्ट्र का प्रत्येक नागरिक आत्मा से तपस्वी और शरीर से एक मजबूत सैनिक बने जो अपने धर्म की अपने राष्ट्र की सेवा कर सके रक्षा कर सकें।।
इस सुअवसर पर भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय, कैसरबाग, लखनऊ के छात्र-छात्राओं, पुण्यगंधा, अल्का, शिवानी, विदित और सुशांत द्वारा रागमाला का प्रस्तुतीकरण किया गया।