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स्वामी दयानन्द जी की 200 वीं जयन्ती : विशेष यज्ञ एवं ऋषि लंगर का आयोजन

आर्य समाज के संस्थापक एवं महान समाज सुधारक स्वामी दयानन्द सरस्वती जी की 200 वीं जन्म जयन्ती के पावन अवसर पर आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान सेठ राधाकृष्ण आर्य के मार्गदर्शन में सैक्टर-17 स्थित वैदिक धाम मार्किट में विशेष हवन-यज्ञ का आयोजन किया गया

विशेष यज्ञ एवं ऋषि लंगर का आयोजन
विशेष यज्ञ एवं ऋषि लंगर का आयोजन

आर्य समाज के संस्थापक एवं महान समाज सुधारक स्वामी दयानन्द सरस्वती जी की 200 वीं जन्म जयन्ती के पावन अवसर पर आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान सेठ राधाकृष्ण आर्य के मार्गदर्शन में सैक्टर-17 स्थित वैदिक धाम मार्किट में विशेष हवन-यज्ञ का आयोजन किया गया जिसमें गुरुकुल के प्रधान राजकुमार गर्ग मुख्य यजमान के रूप में उपस्थित रहे।

ज्ञात रहे स्वामी दयानन्द जी की 200 वीं जयंती पर राज्यपाल आचार्य श्री देवव्रत जी के प्रयासों से गुजरात के टंकारा में, जहां पर स्वामी जी का जन्म हुआ था, भव्य समारोह मनाया गया जिसमें महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मु, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सहित देश के कई शीर्ष नेताओं व गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।

इसी संदर्भ में आर्य प्रतिनिधि सभा और गुरुकुल कुरुक्षेत्र के संयुक्त तत्वाधान में वैदिक धाम मार्किट में विशेष हवन और ऋषि लंगर का भव्य आयोजन किया गया जिसमें मार्किट के सैकड़ों दुकानदारों ने भी आहुतियां प्रदान कर स्वामी जी को नमन किया।

प्रधान राजकुमार गर्ग ने कहा कि ऋषि दयानन्द ने समाज में एक नई क्रांति का सूत्रपात करते हुए जात-पात, ऊंच-नीच के भेदभाव को मिटाते हुए पाखण्ड के खिलाफ एक आंदोलन चलाया था। सर्वप्रथम स्वामी जी ने ही स्वराज का उद्घोष किया था और उन्हीं से प्रेरणा लेकर आजादी के आंदोलन में हजारों युवा क्रांति के मार्ग पर अग्रसर हुए।

उन्होंने कहा कि स्वामी जी ने ही नारी को समाज में शिक्षा और समान अधिकारों की वकालत की और उन्हीं के प्रयासों से बाल-विवाह जैसी कुरीति को छोड़ने और विधवा विवाह की रीति का प्रचलन आरंभ हुआ। समाज को नई दिशा देने वाले ‘आर्य समाज’ का गठन भी स्वामी दयानन्द जी ने किया था जो विश्व में पाखण्ड, अज्ञानता, गुरुड़म, नशाखोरी, छुआछूत और भेदभाव जैसी बुराइयांे के खिलाफ लोगों को जगातार जागृत कर रहा है। उन्होंने कहा कि स्वामी जी की 200वीं जयन्ती पर हम सभी को उनके जीवन से प्रेरणा लेते हुए उनके

दिखाए मार्ग पर चलने का प्रण लेना चाहिए। यज्ञ के उपरान्त ऋषि लंगर की व्यवस्था रही जिसमें हजारों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।
इस अवसर पर गुरुकुल के प्रधान राजकुमार गर्ग, प्राचार्य सुबे प्रताप, व्यवस्थापक रामनिवास आर्य, मुख्य संरक्षक संजीव आर्य, जयपाल आर्य, प्रचार प्रमुख विशाल आर्य, अनिल आर्य, शुभम् आर्य, अंकित आर्य, बलदेव राज आदि मौजूद रहे।


Published: 12-02-2024

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